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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अब व्हाट्सएप पर नोटिस नहीं भेज पाएगी पुलिस

Supreme Court Bars Police from Using WhatsApp for Notices

Dharmender Singh Malik
3 Min Read

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए पुलिस को व्हाट्सएप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नोटिस भेजने से रोक दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 41ए या बीएनएसएस की धारा 35 के तहत आरोपी को नोटिस देने के लिए व्हाट्सएप या किसी और इलेक्ट्रॉनिक मोड का उपयोग नहीं किया जा सकता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे नोटिस केवल सेवा के लिए निर्धारित पारंपरिक तरीके से ही जारी किए जाएं।

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सतेंदर कुमार अंतिल मामले में दिया, जिसमें पहले भी अदालत ने अनावश्यक गिरफ्तारी रोकने के लिए ऐतिहासिक निर्देश पारित किए थे। अदालत इस मामले में अपने पूर्व के आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि नोटिस सेवा का तरीका पारदर्शी और वैधानिक होना चाहिए, ताकि न्याय प्रक्रिया प्रभावित न हो।

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सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?

  • जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने पुलिस विभागों के लिए स्थायी आदेश जारी करना चाहिए।
  • इन आदेशों में यह निर्देश दिया जाए कि नोटिस केवल निर्धारित विधि के अनुसार ही सेवा की जाए. व्हाट्सएप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग वैकल्पिक तरीका नहीं हो सकता।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम उठाते हुए इस बात पर जोर दिया कि इलेक्ट्रॉनिक मोड जैसे व्हाट्सएप के माध्यम से नोटिस देने से पारंपरिक और विधिक प्रक्रिया का उल्लंघन हो सकता है. इससे न्याय की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं.
  • अदालत के इस फैसले को सभी पुलिस विभागों के लिए सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है।
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क्यों लिया गया यह फैसला?

  • कानूनी प्रक्रिया का पालन: सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि नोटिस सेवा एक कानूनी प्रक्रिया है और इसे पारंपरिक तरीके से ही पूरा किया जाना चाहिए। व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से नोटिस भेजने से इस प्रक्रिया में खलल पड़ सकती है।
  • न्याय की निष्पक्षता: सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि नोटिस सेवा का पारदर्शी होना जरूरी है ताकि न्याय की निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
  • दुरुपयोग की संभावना: व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से नोटिस भेजने से इसका दुरुपयोग होने की संभावना रहती है।

इस फैसले का क्या प्रभाव होगा?

  • इस फैसले से सुनिश्चित होगा कि नोटिस सेवा की प्रक्रिया पारदर्शी और वैधानिक रहेगी।
  • यह न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा।
  • इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी।
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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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