नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में घर खरीदने वालों से फिरौती की मांग करने के मामले में बिल्डरों और बैंकों के गठजोड़ की जांच को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गरीब घर खरीदारों को अपनी मेहनत की कमाई का निवेश करने के बाद भी फिरौती देने के लिए मजबूर किया गया। इस संदर्भ में कोर्ट ने CBI जांच के संकेत दिए हैं और बैंकों और बिल्डरों के बीच सांठगांठ की जांच की आवश्यकता पर बल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटीश्वर सिंह की पीठ ने कहा, “लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई का निवेश किया, लेकिन उन्हें फिरौती देने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बैंकों और बिल्डरों के गठजोड़ की जांच के लिए एक SIT (विशेष जांच दल) का गठन किया जाए।”
कोर्ट ने आगे कहा, “हम CBI से इस मामले में कार्रवाई की मांग करेंगे और हर बैंक को इस जांच में शामिल किया जाएगा।”
मामला क्या था?
NCR क्षेत्र में घर खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पहले बिल्डरों ने फ्लैट का कब्जा देने में देरी की, और फिर जब फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया, तो बैंकों ने उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर किया। घर खरीदारों के अनुसार, बिल्डर्स के डिफॉल्ट के बावजूद बैंकों ने उनसे वसूली शुरू कर दी थी, जो पूरी तरह से अनुचित था।
पहले भी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी बिल्डरों को फटकार लगाई थी। नवंबर 2024 में कोर्ट ने NCR में लंबित आवासीय परियोजनाओं की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी। इन परियोजनाओं के खरीदारों ने सब्सिडी स्कीम के तहत लोन लिया था, और बिल्डरों को परियोजना पूरा होने तक लोन की ईएमआई चुकानी थी। लेकिन बिल्डर समय पर परियोजना पूरी नहीं कर पाए, और न ही बैंकों को ईएमआई का भुगतान किया। इसके बावजूद, बैंकों ने घर खरीदारों से वसूली शुरू कर दी थी।
क्या आगे की कार्रवाई होगी?
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त कदम उठाने का फैसला किया है और CBI जांच की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और बिल्डर्स और बैंकों के बीच सांठगांठ की परतें कब खुलती हैं।
