Advertisement

Advertisements

सुप्रीम कोर्ट की पुलिस को चेतावनी: कानून की सीमा में रहकर कार्रवाई करें

Dharmender Singh Malik
3 Min Read
सुप्रीम कोर्ट की पुलिस को चेतावनी: कानून की सीमा में रहकर कार्रवाई करें

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों की पुलिस को सख्त चेतावनी दी है कि वे लोगों के खिलाफ नियमों का उल्लंघन कर कार्रवाई न करें। यह आदेश उस मामले में आया जब एक व्यक्ति को उसके पड़ोसी से झगड़ा होने के कारण गिरफ्तार किया गया और फिर पुलिस ने कथित तौर पर उसे हिरासत में मारपीट की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा के डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा शामिल थे, ने अपनी नाराजगी व्यक्त की कि कई सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बावजूद देश भर में पुलिस लगातार नियमों को उल्लंघन कर रही है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि पुलिस को अपनी ताकत का धौंस दिखाने से बचना चाहिए और उन्हें अपनी कार्यप्रणाली को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार चलाना चाहिए।

See also  हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का 89 वर्ष की आयु में निधन, शोक की लहर

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भविष्य में यदि ऐसी घटनाएं होती हैं, तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा और गलत आचरण करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को आदेश दिया है कि वह इस आदेश को (विजय पाल यादव बनाम ममता सिंह और अन्य) और 2023 के सोमनाथ बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले के फैसले की कॉपी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुखों को भेजे।

कोर्ट ने राज्यों के डीजीपी से यह भी कहा कि वे अपने अधिकारियों को यह निर्देश दें कि वे नियमों का पालन करें और किसी भी गिरफ्तारी से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करें।

See also  ऑपरेशन सिंदूर: भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को किया ध्वस्त, 30 आतंकियों का सफाया

सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के सोमनाथ बनाम महाराष्ट्र सरकार फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें पुलिस ने चोरी के आरोपी को जूतों की माला पहनाकर अर्धनग्न अवस्था में सड़कों पर घुमाया था। इस मामले में भी कोर्ट ने डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल सरकार फैसले का उल्लंघन होते हुए देखा था, जिसमें गिरफ्तारी और पूछताछ के दौरान मानवाधिकारों का उल्लंघन न करने का स्पष्ट निर्देश था।

कोर्ट ने अर्णेश कुमार बनाम बिहार सरकार फैसले का पालन करने की भी सख्त हिदायत दी है। इस फैसले में कहा गया था कि सात साल तक की सजा वाले मामलों में गिरफ्तारी केवल आवश्यक परिस्थितियों में ही की जानी चाहिए और आरोपी को पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस दिया जाए। यदि आरोपी पूछताछ में सहयोग करता है तो उसकी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। गिरफ्तारी से पहले पुलिस को इसे लिखित रूप से दर्ज करना होगा।

See also  निर्माणाधीन प्लांट की चिमनी गिरने से बड़ा हादसा, 8 की मौत, मुख्यमंत्री ने जताया दुख

Advertisements

See also  यूजीसी का बड़ा फैसला: अब एक साथ दो डिग्रियां होंगी मान्य, 2022 से पहले वालों को भी राहत!
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement