सुप्रीम कोर्ट ने ‘सेम सेक्स मैरिज’ पर पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की, कहा- फैसले में कोई खामी नहीं

Manisha singh
4 Min Read

नई दिल्ली :भारत के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह (सेम सेक्स मैरिज) से संबंधित अपने पिछले फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दिए गए फैसले में कोई खामी नहीं है और यह फैसले कानून के अनुरूप हैं। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों की पांच सदस्यीय बेंच ने सुनाया, जिसमें जस्टिस बीआर गवई, सूर्यकांत, बीवी नागरत्ना, पीएस नरसिम्हा और दीपांकर दत्ता शामिल थे।

फैसले का सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह से संबंधित फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार किया और यह स्पष्ट किया कि उनके द्वारा पहले दिए गए निर्णय में कोई त्रुटि नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से मान्यता देने का मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है, और इस पर किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप उचित नहीं होगा।

See also  रोहतक में मिली कांग्रेस नेत्री हिमानी नरवाल की लाश, राजनीति गर्माई, हत्या के पीछे हो सकती है साजिश

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 17 अक्टूबर 2023 को अपने निर्णय में कहा था कि समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह एक विधायी (legislative) मामला है, जिसे संसद द्वारा तय किया जाना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक और क़ानूनी अधिकारों को प्रदान करने के लिए एक पैनल गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। इस पैनल का उद्देश्य समलैंगिक साझेदारियों के लिए कानूनी सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करना था।

रिव्यू पिटीशन पर कोर्ट का रुख

2023 में आए इस फैसले के बाद, याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग करते हुए समीक्षा याचिकाएं दाखिल की थीं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से मान्यता दी जानी चाहिए, ताकि LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों की रक्षा हो सके। इन याचिकाओं में यह भी कहा गया था कि इस मुद्दे पर खुली अदालत में सुनवाई होनी चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया और फैसले को सही ठहराया।

See also  Hyena Outside, Elephant Within

सुप्रीम कोर्ट के विचार

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिकॉर्ड में कोई भी त्रुटि या खामी नहीं पाई गई और जो विचार फैसले में व्यक्त किए गए हैं, वे पूरी तरह से कानून के अनुसार हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में पहले के फैसले में शामिल जजों में से कुछ ने समलैंगिक साझेदारियों की कानूनी मान्यता का समर्थन किया था। विशेष रूप से जस्टिस संजय किशन कौल और चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भेदभाव-विरोधी कानून बनाए जाने की आवश्यकता को बताया था।

See also  दिल्ली में IFS अधिकारी ने की आत्महत्या, बिल्डिंग से कूदकर दी जान, डिप्रेशन में थे

समाज में प्रतिक्रिया

समलैंगिक विवाह के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत में एक अहम सामाजिक और कानूनी मुद्दा बना हुआ है। जबकि एक तरफ LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के पक्ष में आवाजें उठ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि यह मामला पूरी तरह से संसद के अधीन है, और उसे ही इस पर निर्णय लेना चाहिए।

See also  रोहतक में मिली कांग्रेस नेत्री हिमानी नरवाल की लाश, राजनीति गर्माई, हत्या के पीछे हो सकती है साजिश
Share This Article
Follow:
Granddaughter of a Freedom Fighter, Kriya Yoga Practitioner, follow me on X @ManiYogini for Indic History and Political insights.
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement