वक्फ एक्ट 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन कहा है कि अगली सुनवाई तक वक्फ संपत्तियों में कोई बदलाव नहीं होगा और नई नियुक्तियां भी नहीं होंगी।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि अगली सुनवाई तक वक्फ संपत्तियां अपनी मौजूदा स्थिति में ही सुरक्षित रहेंगी और उनमें कोई नया बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, कोर्ट ने इस अवधि के दौरान किसी भी वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियां करने पर भी रोक लगा दी है।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से इस मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार को बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें भूमि के विशाल हिस्सों, यहां तक कि पूरे गांवों को भी वक्फ संपत्ति के रूप में दावा किए जाने पर चिंता व्यक्त की गई है। उन्होंने अदालत से किसी भी अंतरिम निर्णय में जल्दबाजी न करने का आग्रह करते हुए कहा कि इस स्तर पर संशोधित अधिनियम पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा। उन्होंने प्रारंभिक प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, ताकि इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया जा सके और जल्दबाजी में कोई निर्णय न लिया जाए।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सभी वक्फ संपत्तियां, चाहे उनका वर्गीकरण कुछ भी हो, अगली सुनवाई तक अपनी वर्तमान स्थिति में सुरक्षित रखी जाएंगी। इसके अलावा, इस अवधि के दौरान किसी भी वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ अपना प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है।
इससे पहले बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की थी, जिसके दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से अंतरिम आदेश जारी करने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने सुनवाई जारी रखने का फैसला किया था। सुनवाई के दौरान, बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से यह भी पूछा था कि क्या ‘वक्फ बाय यूजर’ को शून्य या अस्तित्वहीन घोषित किया जा सकता है, खासकर यदि यूजर द्वारा वक्फ पहले से ही स्थापित है। चीफ जस्टिस ने यह भी स्पष्ट किया कि जामा मस्जिद समेत सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे।