नई दिल्ली। भारतीय रेलवे और परिवहन क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। आईआईटी मद्रास (Indian Institute of Technology Madras) ने देश का पहला हाइपरलूप प्रोटोटाइप ट्रैक तैयार किया है, जो भारतीय रेलवे की यात्रा को नई दिशा में ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इस हाइपरलूप ट्रैक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ट्रेनें इसकी मदद से आवाज़ की गति के बराबर रफ्तार से दौड़ेंगी। यही नहीं, बुलेट ट्रेन से भी तेज गति संभव हो सकेगी।
आईआईटी मद्रास का पहला हाइपरलूप प्रोटोटाइप ट्रैक
आईआईटी मद्रास ने 422 मीटर लंबा हाइपरलूप प्रोटोटाइप ट्रैक तैयार किया है। यह ट्रैक चेन्नई स्थित आईआईटी मद्रास के परिसर में स्थित है। हाइपरलूप ऐसी नई तकनीक है, जिसमें ट्रेनें एक विशेष निर्वात या लो-प्रेशर ट्यूब में चुंबकीय प्रभाव के तहत दौड़ती हैं। इस तकनीक की मदद से, ट्रेनें ट्रैक से ऊपर उठकर बिना किसी घर्षण के तेज़ी से दौड़ सकती हैं। इस परियोजना को रेलवे मंत्रालय के वित्तीय सहयोग से पूरा किया गया है।
हाइपरलूप तकनीक की विशेषताएँ और ट्रेन की रफ्तार
हाइपरलूप तकनीक में ट्रेन को इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम के माध्यम से चलाया जाएगा, जिससे ट्रेन चुम्बकीय प्रभाव में ट्रैक से ऊपर उठकर रफ्तार पकड़ती है। यह प्रक्रिया ट्रेन की गति में वृद्धि करने में मदद करेगी, क्योंकि घर्षण लगभग नगण्य होगा। इसके कारण, इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनें प्रति घंटा लगभग 1100 किलोमीटर की रफ्तार तक दौड़ सकती हैं। इतना ही नहीं, यह तकनीक पर्यावरण पर भी न्यूनतम प्रभाव डालेगी, क्योंकि इसमें शून्य उत्सर्जन वाली ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का बयान
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे भारतीय रेलवे के लिए एक बड़ी उपलब्धि और क्रांति करार दिया। उन्होंने कहा, “हाइपरलूप तकनीक के जरिए हम न केवल रेलवे के क्षेत्र में बल्कि पूरे परिवहन क्षेत्र में नया मोड़ लाने जा रहे हैं। यह तकनीक देश को तेज़, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन व्यवस्था प्रदान करेगी।”
वैष्णव ने यह भी बताया कि भारत में हाइपरलूप ट्रैक की स्थापना का उद्देश्य भारतीय रेलवे को पूरी दुनिया में एक नया मुकाम दिलाना है। उन्होंने यह भी कहा कि आईआईटी मद्रास का हाइपरलूप ट्रैक भारतीय रेलवे और शिक्षा क्षेत्र के बीच मजबूत साझेदारी का उदाहरण है।
हाइपरलूप ट्रैक के विस्तार की योजना
वर्तमान में, यह ट्रैक केवल प्रोटोटाइप के रूप में विकसित किया गया है, जो भविष्य में बड़े पैमाने पर विकसित किया जाएगा। रेलवे मंत्रालय के मुताबिक, अगले चरण में मुंबई और पुणे के बीच एक पूर्ण हाइपरलूप ट्रैक बनाने की योजना है। इस ट्रैक की मदद से मुंबई-पुणे के बीच की यात्रा को सिर्फ 20 मिनट में पूरा किया जा सकेगा, जो वर्तमान में लगभग तीन घंटे लगते हैं।
हाइपरलूप तकनीक की वैश्विक मान्यता
हाइपरलूप तकनीक दुनिया के लिए एक नई क्रांति साबित हो सकती है। हालांकि, वर्तमान में इस तकनीक का ट्रायल सबसे पहले अमेरिका में किया गया था, लेकिन भारत में इसका विस्तार और विकास इसे एक कदम आगे ले जाएगा। चेन्नई में आयोजित एशिया की पहली ग्लोबल हाइपरलूप प्रतियोगिता में इस तकनीक का प्रदर्शन किया गया, जिसमें युवा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने इसे सफलता की ओर अग्रसर करने के लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
भविष्य की परिवहन क्रांति
हाइपरलूप तकनीक न केवल भारतीय परिवहन व्यवस्था को बदलने के लिए एक बड़ा कदम है, बल्कि यह पूरे विश्व में एक नई परिवहन क्रांति का जन्म भी हो सकता है। हालांकि, इस परियोजना को सफल बनाने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी। इसके निर्माण में होने वाली लागत को ध्यान में रखते हुए, यह कहा जा सकता है कि यह परियोजना एक शोध प्रक्रिया के रूप में शुरू की गई है, और इसे समय के साथ पूरा किया जाएगा।