कोलकाता: पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा लगातार सवालों के घेरे में है। हाल ही में एक आईएएस अधिकारी की पत्नी के साथ हुए कथित बलात्कार के मामले ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जुलाई महीने में हुई इस घटना में आरोपी ने पीड़िता के घर में घुसकर बंदूक की नोक पर उसके साथ दुष्कर्म किया था। पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और कम गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरोपी की जमानत रद्द कर दी है और जांच एक डिप्टी कमिश्नर स्तर के अधिकारी को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं और कहा है कि रेप की शिकायत दर्ज होने के बाद भी मेडिकल जांच क्यों नहीं हुई।
विपक्ष का हमला
इस मामले में विपक्ष ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना की तरह इस मामले में भी सबूतों को दबाने की कोशिश की गई है।
पुलिस पर सवाल
इस मामले में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। पीड़िता की शिकायत के बाद भी पुलिस ने देरी से कार्रवाई की और मामले को कमजोर करने की कोशिश की।
महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा
पश्चिम बंगाल में लगातार हो रही ऐसी घटनाएं बताती हैं कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। सरकार को इस मामले में गंभीर कदम उठाने की जरूरत है और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।