कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले में भारी विरोध के बाद, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने हाल ही में “अपराजिता विधेयक” पारित किया। यह विधेयक राज्य के आपराधिक संहिता में बलात्कार और बाल शोषण से संबंधित दंड को और अधिक कठोर बनाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
क्या है अपराजिता विधेयक?
नई दिल्ली में महिला सुरक्षा को लेकर उठे सवालों के बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक नया प्रस्ताव पेश किया है, जिसे संशोधन कानून के रूप में पारित किया गया है। इस कानून के तहत, दुष्कर्म के मामलों में फांसी की सजा का प्रविधान किया गया है, जबकि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में पहले से ही दुष्कर्म के जघन्य अपराधों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान है।
विधि विशेषज्ञों की राय
कानूनविदों का मानना है कि पश्चिम बंगाल सरकार को नए कानून को लागू करने की बजाय मौजूदा कानून को कड़ाई से लागू करने पर ध्यान देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवनी ने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा और अपराध की निष्पक्ष जांच में सरकार की विफलता को छुपाने के लिए यह संशोधित कानून लाया गया है।
पूर्व विधि सचिव पीके मल्होत्रा का कहना है कि राज्य सरकार को कानून में संशोधन लाने का अधिकार है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि नया कानून केंद्रीय कानून के खिलाफ न हो। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह कानून लागू हो सकता है।
फांसी की सजा पर विवाद
इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश एसआर सिंह का कहना है कि साधारण दुष्कर्म के मामलों में फांसी की सजा देना उचित नहीं होगा। दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश एसएन धींगरा भी इस बात से सहमत हैं कि सामान्य दुष्कर्म में फांसी की सजा अव्यवहारिक है, क्योंकि दुष्कर्म की परिभाषा बहुत व्यापक है और इसमें विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
कानून की प्रभावशीलता
जस्टिस धींगरा का मानना है कि राजनीतिक संशोधनों की बजाय, कानून के सही तरीके से अनुपालन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जांच और ट्रायल की समय सीमा का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उम्रकैद का मतलब
भारतीय न्याय संहिता की धारा 66 के अनुसार, अगर दुष्कर्म के बाद पीड़िता की मौत हो जाती है या वह मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाती है, तो दोषी को कम से कम 20 साल की सजा हो सकती है, जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है। उम्रकैद का मतलब दोषी को जीवन भर कैद में रहना होता है, या फिर मृत्युदंड का प्रावधान हो सकता है।
इस प्रकार, अपराजिता विधेयक ने बलात्कार और अन्य अपराधों के लिए दंड को और कठोर बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन और मौजूदा कानूनों की समीक्षा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।