रेलवे का नया ‘लगेज रेला’: 35, 40, 50 और 70 किलो की सीमा क्यों? ‘बिना टिकट’ समस्या पर कब लगेगी लगाम?

Gaurangini Chaudhary
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रेलवे का नया 'लगेज रेला': 35, 40, 50 और 70 किलो की सीमा क्यों? 'बिना टिकट' समस्या पर कब लगेगी लगाम?

रेलवे का नया ‘रेला’: लगेज के लिए चार नियम और बढ़ाएंगे यात्रियों की मुश्किलें

 

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने यात्रियों द्वारा ले जाए जाने वाले सामान (लगेज) के लिए चार अलग-अलग वजन सीमाएं तय की हैं, लेकिन यह नया नियम रेलवे की कार्यप्रणाली और यात्रियों, दोनों के लिए उलझनें बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।  रेलवे में पहले से ही चेकिंग स्टाफ, मशीनों और प्रभावी निगरानी की भारी कमी है, ऐसे में जीएसटी की चार रेट की तर्ज पर ये नए नियम थोपना अव्यावहारिक कदम है।

 

चार सीमाएं: उलझन या व्यवस्था?

 

रेलवे ने विभिन्न श्रेणियों के यात्रियों के लिए जो नई लगेज सीमाएं तय की हैं, वे इस प्रकार हैं:

  • जनरल यात्री: 35 किलोग्राम
  • एसी-3 यात्री: 40 किलोग्राम
  • एसी-2 यात्री: 50 किलोग्राम
  • फर्स्ट एसी यात्री: 70 किलोग्राम
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क्या रेलवे के पास इतनी संख्या में नापतौल की मशीनें उपलब्ध होंगी कि हर जगह 35 या 40 किलो सामान तौला जा सके? इसके अलावा, इन नियमों को लागू करने के लिए पर्याप्त चेकिंग कर्मचारियों की नियुक्ति एक बड़ी चुनौती है, और फिर उन पर निगरानी रखने के लिए अधिकारियों की आवश्यकता होगी, जिससे रेड टेप और बढ़ेगा।

 

असल समस्या: बिना टिकट यात्री और सुरक्षा

 

रेलवे को बोझ बढ़ाने वाले नए नियम थोपने के बजाय, अपनी मौजूदा बड़ी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।

  1. बिना टिकट यात्रा: सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि रेलवे हर ट्रेन में सफर कर रहे बिना टिकट यात्रियों को भी प्रभावी ढंग से रोक नहीं पा रहा है। यदि रेलवे वजन तौलने में जितना खर्च और मेहनत लगाता है, उससे कहीं ज्यादा उगाही तो बिना टिकट यात्रियों पर जुर्माना लगाकर की जा सकती है।
  2. सुरक्षा और अवैध सामान: प्रॉपर चेकिंग न होने के कारण ट्रेनों में बम, हथियार, विस्फोटक और अन्य अवैध सामान आसानी से आ-जा रहे हैं। यहां तक कि कई बार ट्रेनों में नेताओं की सीटों पर भी नोटों की गड्डियां मिली हैं। रेलवे को सबसे पहले सोना, चांदी और नोटों की गड्डियों जैसे अवैध सामान की आवाजाही रोकनी चाहिए।
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समाधान: एक समान सीमा और तकनीक का उपयोग

 

व्यवस्था को सरल और प्रभावी बनाने के लिए एक आसान समाधान

  • एक समान सीमा: सभी श्रेणियों के यात्रियों के लिए लगेज की एक समान सीमा (40 या 50 किलो) तय कर दी जानी चाहिए, ताकि झंझट काफी हद तक कम हो सके।
  • टेक्नोलॉजी का उपयोग: हर प्लेटफॉर्म पर सीसीटीवी कैमरे लगाकर उन्हें क्लाउड से जोड़ा जाए। देश के बेरोजगार युवा घर बैठे ही इन्हें देखकर संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी दे सकते हैं।
  • सरलता बनाम जटिलता: देश जब विदेशी निवेश के लिए प्रक्रियाओं को आसान बनाकर रेड टेप हटा रहा है, ऐसे में रेलवे यात्रियों को उलझाने वाले नए नियम गढ़ रहा है।
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रेलवे बोर्ड और सलाहकारों को यह समझना होगा कि यात्रियों की यात्रा सरल और नियमित बनानी चाहिए, न कि झंझटों से भरी। रेलवे में फैली गैर-जिम्मेदारी, चोरी और कामचोरी पर लगाम कस दी जाए तो स्थिति स्वतः सुधर सकती है।

 

 

 

 

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