महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पारित, 454 सांसदों ने किया समर्थन

Dharmender Singh Malik
4 Min Read

नई दिल्ली : महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) बुधवार को लोकसभा से 333 वोटों के बहुमत से पारित हो गया। बिल के समर्थन में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पर्ची से वोटिंग कराई।

महिला आरक्षण बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का दिया जवाब

See also  AAP सांसद संजय सिंह के घर ED का छापा, किस मामले में हो रही है तलाशी ?

महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देशभर में दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात में उन्होंने जागरूकता पैदा की। इससे लिंगानुपात में सुधार हुआ था। अमित शाह ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाई का फायदा ये हुआ कि एक ओर लिंगानुपात में सुधार हुआ, दूसरा गुजरात में प्राइमरी एजुकेशन में 37 फीसदी ड्ऱॉपआउट रेशो था, लेकिन जब मोदीजी प्रधानमंत्री बने तो ये ड्रॉपआउट रेशो घटकर 0।7 फीसदी रह गया।

शाह ने कहा, ये हमारे लिए राजनीति नहीं, मान्यता और संस्कृति का मुद्दा है। महिला सशक्तीकरण संविधान संसोधन से जुड़ा नहीं है, बल्कि ये महिलाओं के लिए सुरक्षा, सम्मान और सहभागिता का मामला है। मोदीजी ने जिस दिन पीएम पद की शपथ ली, ये संकल्प लिया। ये सरकार का संकल्प है, जिसे पूरा किया गया। गृहमंत्री ने इसके साथ बिल को पास कराने के लिए सहयोग मांगा।

See also  दुबई में 4 साल से कार को बनाया घर, महिला की मदद के लिए आगे आया भारतीय समुदाय

राहुल गांधी बोले- ओबीसी कोटा बिना ये बिल अधूरा

महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में हुई डिबेट में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हिस्सा लिया। राहुल गांधी ने इस दौरान ओबीसी को भी इस बिल में शामिल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना महिला आरक्षण बिल अधूरा है। राहुल गांधी ने कहा, मेरे विचार से यह विधेयक आज ही लागू किया जा सकता है, लेकिन इसे आगे बढ़ने के मकसद से तैयार नहीं किया गया है।

तीन दशक से अटका था महिला आरक्षण बिल

संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव 3 दशक से अटका हुआ था। पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने इस मुद्दे को उठाया। इसके बाद 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। लेकिन तब सपा और आरजेडी ने महिला आरक्षण बिल का विरोध किया। दोनों पार्टियों ने तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया।

See also  भूकंप: अरुणाचल प्रदेश में आया 5.8 तीव्रता का भूकंप
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a comment