जाकिर हुसैन का निधन: 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कहा, संगीत की दुनिया में उनके योगदान का रिव्यू

Dharmender Singh Malik
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भारतीय संगीत की दुनिया के लेजेंड्री तबला वादक, जाकिर हुसैन, ने 15 दिसंबर 2024 को 73 वर्ष की आयु में अमेरिका में अपनी अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से दिल से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे थे और सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में आईसीयू में भर्ती थे। उनके करीबी मित्र और प्रसिद्ध बांसुरी वादक राकेश चौरीसिया ने इस दुखद खबर की पुष्टि की। जाकिर हुसैन का निधन भारतीय और वैश्विक संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिन्होंने अपने संगीत से पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध किया था।

जाकिर हुसैन का लेजेंड्री संगीत सफर

जाकिर हुसैन का संगीत करियर दशकों तक फैला हुआ था और उनकी कला ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की सीमाओं को पार करते हुए वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई। वह उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र थे और अपने पिता से ही उन्होंने अपनी शुरुआती संगीत शिक्षा प्राप्त की थी। 1970 के दशक में उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ पश्चिमी संगीत और जैज के तत्वों को जोड़ा, जिससे उन्होंने अपनी विशेष पहचान बनाई।

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जाकिर हुसैन की समृद्ध और विविध डिस्कोग्राफी

जाकिर हुसैन की डिस्कोग्राफी एक विशाल संगीत काव्य है, जिसमें उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक संगीत परंपराओं के साथ मिलाया। उनके प्रारंभिक कार्यों में 1978 में गिटार वादक ब्रिजभूषण कबरा के साथ “Perfect Partnership – Guitar & Tabla” और 1979 में वसंत राय के साथ “Evening Ragas” शामिल हैं। इन कार्यों ने जाकिर हुसैन की सामर्थ्य और विविधता को साबित किया और भारतीय संगीत को एक नए दिशा में स्थापित किया।

1980 के दशक में उन्होंने “Footprints in the Sky” (1981), “The Magic of Music” (1982) और “Sur Taal” (1991) जैसी कई प्रमुख एल्बमों का निर्माण किया। इन एल्बमों में उन्होंने ताल और रागों को खूबसूरती से मिलाकर भारतीय और पाश्चात्य संगीत के बीच एक नया पुल स्थापित किया।

जाकिर हुसैन के “Global Drum Project” (2007) जैसे एल्बमों ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इस एल्बम को ग्रैमी अवार्ड भी मिला और यह एक वैश्विक संगीत नवाचार का प्रतीक बना। इसके बाद 2009 में “The Melody of Rhythm” और 2019 में “Good Hope” जैसे एल्बमों ने उनके संगीत के दायरे को और भी बढ़ाया।

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फिल्मोग्राफी और साउंडट्रैक

जाकिर हुसैन का योगदान केवल शास्त्रीय संगीत तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने फिल्म संगीत में भी अपनी विशेष पहचान बनाई। उन्होंने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के साउंडट्रैक में अपनी तबला वादन की कला को प्रस्तुत किया। 1993 में आई फिल्म In Custody के साउंडट्रैक में उनके योगदान ने उसे एक नई दिशा दी। इसके बाद 2002 में The Mystic Masseur और 2014 में Hazir 2 जैसी फिल्मों के साउंडट्रैक में भी उन्होंने अपने संगीत का जादू बिखेरा।

इसके अलावा, जाकिर हुसैन के साउंडट्रैक और संकलन एल्बमों में “The Rough Guide to Ravi Shankar” (2003) और “The Rough Guide to Indian Classical Music” (2014) जैसे प्रतिष्ठित काम शामिल हैं। इन संकलनों में उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की पारंपरिक धारा को भी बनाए रखा और विश्व संगीत के तत्वों के साथ मिलाकर संगीत के नए आयाम प्रस्तुत किए।

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जाकिर हुसैन का अविस्मरणीय योगदान

जाकिर हुसैन का संगीत करियर एक विशाल धरोहर है, जिसे संगीत जगत कभी भुला नहीं सकेगा। उन्होंने भारतीय तबला को न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक नई पहचान दिलाई। उनकी तबला वादन की शैली, जिसमें शास्त्रीय संगीत, जैज, रॉक और विश्व संगीत के तत्व थे, ने उन्हें एक वैश्विक संगीत आइकन बना दिया।

उनकी शिष्यों के लिए शिक्षा और उनके संगीत के प्रति उनका समर्पण उन्हें एक महान गुरु के रूप में स्थापित करता है। जाकिर हुसैन का निधन संगीत की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनका विशाल योगदान और उनके संगीत का धरोहर हमेशा जीवित रहेगा।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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