नई दिल्ली। कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए अग्रिम पंक्ति में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों, डॉक्टरों, पुलिस और अन्य आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए कुछ स्थानों पर मिस्ट सैनिटाइजर टनल का उपयोग हो रहा है। लेकिन, इस टनल में छिड़काव के लिए उपयोग होने वाले रसायन सोडियम हाइपोक्लोराइट के दुष्प्रभावों का हवाला देते हुए कई एजेंसियों ने इसके खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हालाँकि, अब वैज्ञानिक परीक्षण के बाद मिस्ट सैनिटाइजर टनल के उपयोग को सुरक्षित बताया जा रहा है।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की पुणे स्थित प्रयोगशाला नेशनल केमिकल लैबोरेटरी (एनसीएल) के एक ताजा अध्ययन के बाद इस संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह बात कही है। संक्रमण हटाने के लिए मिस्ट सैनिटाइजर टनल में कोहरे की फुहार जैसी सूक्ष्म बूंदों के रूप में रसायनों की एक निश्चित मात्रा का छिड़काव किया जाता है। इस टनल के भीतर से होकर गुजरने पर सोडियम हाइपोक्लोराइट की निर्धारित मात्रा का उपयोग संक्रमण हटाने के लिए किया जाता है। सीएसआईआर-एनसीएल के वैज्ञानिकों ने सोडियम हाइपोक्लोराइट की विभिन्न सांद्रताओं का मूल्यांकन करने पर मिस्ट सैनिटाइजर टनल में इसके उपयोग को सुरक्षित पाया है।
सोडियम हाइपोक्लोराइट के प्रभाव, जिसे हाइपो या ब्लीच के रूप में भी जाना जाता है, का 0.02 से 0.5 प्रतिशत वजन की सांद्रता के साथ मिस्ट सैनिटाइजर टनल इकाई के भीतर से होकर गुजरने वाले कर्मियों पर अध्ययन किया गया है। इसके अलावा, मिस्ट सैनिटाइजर के टनल के संपर्क में आने से पहले और बाद में सूक्ष्मजीवों के खिलाफ जीवाणुरोधी गतिविधि का आकलन किया गया है। इस अध्ययन से पता चला है कि 0.02 से 0.05 प्रतिसत वजन की सांद्रता त्वचा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना रोगाणुओं को नष्ट कर सकती है।
इसी आधार पर, वैज्ञानिक मिस्ट सैनिटाइजर में 0.02 से 0.05 प्रतिशत वजन की सांद्रता में हाइपोक्लोराइट का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं। संक्रमण के संपर्क की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार वैज्ञानिकों ने हाइपोक्लोराइट की विभिन्न सांद्रताओं की सिफारिश की है। हाइपोक्लोराइट की 0.5 प्रतिशत सांद्रता के मिश्रण के छिड़काव की सिफारिश उन लोगों पर करने के लिए की गई है, जो अधिक आबादी के बीच रहकर कोविड-19 के खिलाफ काम कर रहे हैं। इसी तरह, 0.2 प्रतिशत मात्रा का उपयोग सामान्य कार्यालयों या फैक्टरी में किया जा सकता है। हालांकि, घर जैसे पूरी तरह पृथक रहने वाले स्थानों पर इस सैनिटाइजर के उपयोग की आवश्यकता नहीं है।
सोडियम हाइपोक्लोराइट के दुष्प्रभाव न होने के बावजूद सीएसआईआर-एनसीएल के वैज्ञानिकों ने कहा है कि टनल से गुजरने के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से फेस शील्ड या सेफ्टी गॉगल्स का उपयोग किया जा सकता है। टनल से गुजरकर सैनिटाइज करने की प्रक्रिया हैंड-सैनिटाइजर या साबुन से हाथ धोने के बाद पूरी होती है। मुंबई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईसीटी) के शोधकर्ताओं ने इस तरह के रसायनों के छिड़काव के लिए खास नोज़ल डिजाइन किए हैं, जिन्हें आवश्यकता के अनुसार उपयोग किया जा सकता है।