आख़िर आर.डी. मंगेशकर गुट को खिलाड़ियों की हाय लग ही गई, नेशनल गेम्स में ट्रायल के नाम पर पांच हजार से अधिक की वसूली थी मोटी रकम
भारतीय ओलंपिक संघ के संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने नियमों को ताक पर रख दी थी मंगेशकर गुट को मान्यता
इंतजार करिए देश में कुछ बड़ा होने जा रहा : संजय शर्मा
प्रदीप कुमार रावत
Agra News : समय चलायमान है। हर व्यक्ति इस बात को जानता है लेकिन मानता नहीं। देश में 2014 तक डॉ.मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, और 2029 में कौन देश का प्रधानमंत्री होगा कोई नहीं जानता। लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ और ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी इस बात को समझने को तैयार नहीं हैं। भारत के प्रधानमंत्री लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित होते हैं, ऐसा ही कुछ भारतीय ओलंपिक संघ एवं ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया में होना चाहिए लेकिन पिछले कुछ समय से भारतीय खेल संघ की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। आधा दर्जन से अधिक खेल इस समय विवादों और सुर्खियों में हैं। जब खेल संघ की रीड यानी कि भारतीय ओलंपिक संघ खुद ही विवादों और गुटबाजी से जूझ रहा हो तो अन्य खेल संघ में हालात कैसे होंगे समझा जा सकता है। ऐसे ही कुछ हालात ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया में दिखाई दे रहे हैं। भारत में ताइक्वांडो लगातार सुर्खियों और विवादों में रहता है। पदाधिकारी तो मौज करते हैं लेकिन उसका खामियाजा एथलीट्स को भुगतना पड़ता है। एक बार फिर ऐसा ही दिखाई दे रहा है, पहले टीएफआई के एक गुट को गलत तरीके से भारतीय ओलंपिक संघ के जॉइंट सेक्रेटरी कल्याण चौबे ने मान्यता दे दी थी। अब उन्होंने 19 मई 2023 को दी गई मान्यता को वापस ले लिया है। भारतीय ओलंपिक संघ के जॉइंट सेक्रेटरी एवं सीईओ कल्याण चौबे के एक पत्र में ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (मंगेशकर गुट) की मान्यता को वापस ले लिया है। यह पत्र जारी होते ही जहां देशभर में दो गुट हर्ष व्यक्त करते हुए दिवाली से पहले दिवाली मना रहा है। वही मंगेशकर गुट पास खोने के लिए कुछ नहीं है।
बताते चलें कि भारत में सुर्खियों में रहने वाला मार्शल आर्ट ताइक्वांडो एक बार फिर चर्चाओं में है। देश में ताइक्वांडो चर्चा का मुख्य कारण आईओए के जॉइंट सेक्रेटरी कल्याण चौबे का वह पत्र है जिसके बाद ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया मंगेशकर गुट की मान्यता रद्द हो गई है। ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया का यह वही मंगेशकर गुट है जिसने गोवा राष्ट्रीय खेलों में ताइक्वांडो एथलीट्स प्रतिभाग करने के नाम पर मोटी वसूली की थी। खिलाड़ियों ने गोवा में आयोजित किए गए नेशनल गेम्स के ट्रायल में ₹5000 से भी अधिक फीस अदा की थी। जिसका खिलाड़ियों ने मुखरता के साथ विरोध किया था, लेकिन तानाशाह बन चुके आर डी मंगेशकर एंड कंपनी ने अपनी जेबें गर्म करने के लिए किसी की भी न सुनी और खिलाड़ियों को मोहरा बनाकर जमकर मोटा पैसा कमाया। यह पहला मामला नहीं था जब खिलाड़ियों से इस तरह की वसूली की गई थी। यह ट्रायल भी दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर आयोजित किया गया था। इसमें जमकर खेल हुआ। यह उन खिलाड़ियों की हाय ही है कि एक साल के अंतराल में ही आर डी मंगेशकर मंगेशकर का गुट धराशायी हो गया और घुटनों पर आ गया।
यहां बताना आवश्यक है कि किसी भी राष्ट्रीय खेल संघ को भारतीय ओलंपिक संघ एवं खेल मंत्रालय की मान्यता के लिए उक्त खेल संघ को अपने विश्व महासंघ से मान्यता लेनी होती है। भारतीय ओलंपिक संघ में मान्यता के लिए यह पहली शर्त होती है कि अपने वैश्विक खेल महासंघ से मान्यता लेकर ही आईओए की मान्यता ले सकता है। ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (आरडी मंगेशकर गुट ) के पास शुरू से ही वर्ल्ड ताइक्वांडो की मानता नहीं थी, बावजूद इसके भारतीय ओलंपिक संघ के संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने नियम विरुद्ध जाकर अनैतिक तरीके से टीएफआई ( मंगेशकर गुट ) को मान्यता थमाई। जबकि नियमानुसार एजीएम बैठक में ही किसी खेल संघ को मान्यता का अनुमोदन होना चाहिए। कल्याण चौबे ने सभी समूह को ताप पर रखकर कार्टून फेडरेशन ऑफ इंडिया (मंगेशकर गुट )को यह मान्यता दी थी। ताइक्वांडो के इस गुट को आईओए से मान्यता के बाद लगातार सवाल खड़े हो रहे थे। यही नहीं दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी।
ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया मंगेशकर गुट ने बीते दो सालों में जमकर खिलाड़ियों को लूटने का काम किया है। जब इस गुट को भारतीय ओलंपिक संघ और खेल मंत्रालय से मान्यता मिल गई तो यह लोग मठाधीश बन गए। ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के महासचिव आरडी मंगेशकर, संतोष मोहंती, एल सुकून सिंह, टी.प्रवीन कुमार आदि की जोड़ी ने ताइक्वांडो को आईओए एवं खेल मंत्रालय से मान्यता मिलने के बाद एथलीट्स को लूटने का काम शुरू कर दिया। यह मठाधीश जानते थे कि उन्होंने आईओए और खेल मंत्रालय को गलत जानकारी देकर यह संबद्धता और मान्यता हासिल की है, इसलिए इन्होंने ताबड़तोड़ राष्ट्रीय चैंपियनशिप, सेमिनार, ब्लैक बेल्ट प्रमोशन टेस्ट आज के नाम पर जमकर लूट शुरू कर दी और खिलाड़ियों को भ्रमित कर जमकर लूटा।
आर डी मंगेशकर का गुट जानता था कि उनके खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक अर्जित करने के बावजूद किसी भी वैश्विक प्रतियोगिता में प्रतिभाग नहीं कर सकते। ताइक्वांडो के इन मठाधीशों ने इन दो सालों में ऑफिशियल से लेकर ओपन एवं इन्विटेशनल प्रतियोगिता आयोजित कर खिलाड़ियों को भ्रमित कर एक-एक प्रतियोगिता से साढे तीन हजार से लेकर छह हजार रूपये तक वसूलने का काम किया है। इनका मुख्य मकसद खिलाड़ियों को वैश्विक पटल पर पहुंचाना नहीं बल्कि उनकी जेबों को खाली करना रहा है।
अब जब भारतीय ओलंपिक संघ ने अपनी मान्यता वापस ले ली है तब पूरे देश में माहौल शहीद होने का बनाया जा रहा है। जबकि आरडी मंगेशकर का यह गुट शुरू से ही खिलाड़ी के साथ फ्रॉड कर रहा था। मंगेशकर गुट की मान्यता रद्द होने के बाद ताइक्वांडो के तमाम खिलाड़ियों ने राहत की सांस ली है और उन्हें अब उम्मीद जगी है कि शायद एक नए सूर्य का उदय होगा, एक नया मसीहा आएगा जो खिलाड़ियों के हित में बगैर किसी महत्वाकांक्षा के देश के ताइक्वांडो एथलीट्स के हित में निर्णय लेगा और उन्हें वैश्विक पटल पर पहुंचाने का काम करेगा।
अब सवाल उठता है कि आखिर यह मसीहा कौन होगा, जो देश के एथलीट्स के हितों की रक्षा करेगा न कि उनका शोषण करेगा। यहां बताना आवश्यक हो जाता है कि पिछले एक दशक में ताइक्वांडो एथलीट्स को दुधारू गाय माना जा रहा है, इसलिए ताइक्वांडो का हर गुट खिलाड़ियों को लूटने का काम कर रहा है। उन्हें खिलाड़ियों के भविष्य से कोई सरोकार नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि ताइक्वांडो में खिलाड़ियों के हितैषी नहीं हैं। समय आ गया है कि खिलाड़ियों के शुभचिंतक यानी की प्रशिक्षक जागें एवं अपने प्रशिक्षुओं के भविष्य को लेकर गहन मंथन, चिंतन और मनन करने के बाद ही निर्णय लें कि उनका भविष्य किनके हाथों में सुरक्षित है।
उधर, इस मामले में जब ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (प्रभात शर्मा) गुट के उपाध्यक्ष संजय शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कंस और रावण जैसे तानाशाह नहीं बचे तो… उन्होंनेकहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था कि भारतीय ओलंपिक संघ ने एक ऐसे संगठन को मान्यता दे दी थी जो किसी भी मापदंड पर खरा नहीं उतरता। उन्होंने कहा की आईओए के संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने भारत कोर्ट का खुलेआम उल्लंघन कर इस गुट को मान्यता दी थी। संजय शर्मा ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनकी मान्यता वापस ली गई है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय ओलंपिक संघ ही सही होता तो आईओए अध्यक्ष पीटी ऊषा को सामने आकर बयान नहीं देना पड़ता।
उन्होंने कहा कि इन लोगों ने सिर्फ खिलाड़ियों को ठगने का काम किया है, आज ताइक्वांडो को लेकर आधा दर्जन से अधिक मामले दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित हैं। हाई कोर्ट में लंबित मामलों से समझा जा सकता है कि यह लोग खेल और खिलाड़ियों के कितने हितैषी हैं। उन्होंने कहा अब अधिक कुछ बोलने की आवश्यकता नहीं है, सब कुछ देश के खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों के सामने है। संजय शर्मा ने इतना जरूर कहा कि थोड़ा सा इंतजार करिए अभी कुछ बड़ा होने वाला है।