आगरा। चैक डिसऑनर के एक मामले में आरोपित छोटू अब्बास को अदालत ने दोषी करार देते हुए 6 माह की सजा और 1,73,600 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फैसला अरीरिक्त न्यायालय संख्या 2 के पीठासीन अधिकारी सूबा सिंह द्वारा सुनाया गया।
मामले का विवरण
वाडी मुकदमा अजीत कुमार शर्मा ने आरोप लगाया कि आरोपी छोटू अब्बास, जो उनके साथ मित्रवत संबंध रखता था, ने व्यापारिक परेशानी का हवाला देते हुए उनसे 1,40,000 रुपये उधार मांगे थे। वादी ने 20 सितंबर 2019 को आरोपी को यह राशि उधार दी थी। जब वादी ने तय समय पर रकम लौटाने के लिए संपर्क किया, तो आरोपी ने चैक जारी किया, जो बाउंस हो गया।
चैक डिसऑनर होने के बाद वादी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया। अदालत ने आरोपों की सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी ठहराया और उसे 6 महीने की सजा और 1,73,600 रुपये का जुर्माना लगाया।
अदालत का फैसला
अरीरिक्त न्यायालय संख्या 2 के पीठासीन अधिकारी सूबा सिंह ने कहा कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, जिसके कारण उसे दोषी ठहराया गया है। अदालत ने आरोपी को 6 माह की कैद और 1,73,600 रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया है।
चैक डिसऑनर कानून और जुर्माना
चैक डिसऑनर का मामला भारतीय कानून में एक गंभीर अपराध माना जाता है। जब कोई व्यक्ति बाउंस चैक देता है और उसे वापस नहीं करता, तो उसके खिलाफ कानून के तहत कार्यवाही की जाती है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 138 के तहत चैक डिसऑनर को अपराध माना जाता है, जिसमें आरोपी को सजा और जुर्माना हो सकता है।
इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि चैक डिसऑनर के मामलों में अदालत सख्त रवैया अपनाती है और आरोपी को सजा दिलवाने के लिए कड़ी कार्यवाही करती है।