भरतपुर: भरतपुर शहर के आरबीएम हॉस्पिटल के बाहर मुख्य सड़क मार्ग पर स्थित चाय और नाश्ते की दुकानों में बीती रात करीब 1:30 बजे भीषण आग लग गई। इस घटना में लाखों रुपये का सामान जलकर राख हो गया। आग लगने के कारणों को लेकर संदेह बना हुआ है, क्योंकि मौके पर मौजूद पीड़ितों का कहना है कि यह आग अपने आप नहीं लगी, बल्कि लगाई गई है।
आग लगने के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। पीड़ितों का आरोप है कि अगर दमकल की गाड़ियां समय पर पहुंच जातीं तो आग को फैलने से रोका जा सकता था। हर पीड़ित की जुबान पर यही सवाल था कि दमकल की गाड़ियों को पहुंचने में इतनी देर क्यों लगी?
पीड़ितों ने भरतपुर में दमकल विभाग की व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंची दो-तीन दमकल गाड़ियों में से जब एक गाड़ी आग बुझाने का प्रयास करती तो उसका पानी बीच में ही खत्म हो जाता और उसे पानी भरने के लिए वापस जाना पड़ता। इसी तरह दूसरी गाड़ी के साथ भी हुआ। पीड़ितों का कहना है कि अगर सूचना मिलने पर तुरंत ज्यादा दमकल गाड़ियां पहुंच जातीं तो आग को जल्दी बुझाया जा सकता था और इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।
पीड़ितों के अनुसार, दमकल विभाग का कार्यालय घटनास्थल से महज 400 मीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन गाड़ियां सूचना मिलने के करीब आधे घंटे बाद मौके पर पहुंचीं। तब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था और सभी दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया था।
इस अग्निकांड में पीड़ितों को भारी नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि दुकानों के अंदर रखा हुआ करीब 20 लाख रुपये का सामान जल गया, जिसमें 14 फ्रिज, परचून का सामान, जूस निकालने की मशीनें, नकदी और दो बाइक व एक स्कूटी शामिल हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर पीड़ितों का आरोप सही है कि आग लगाई गई थी, तो क्या पुलिस इस मामले की गहनता से जांच करेगी और पीड़ितों को न्याय दिलाएगी? क्या दोषियों को सजा मिलेगी या फिर इस घटना को भी अन्य आगजनी की घटनाओं की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा? यह देखना होगा कि पुलिस इस गंभीर आरोप पर कितनी तत्परता से कार्रवाई करती है।
