लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के गोला गोकर्णनाथ क्षेत्र में छोटी काशी कॉरिडोर के निर्माण को लेकर प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रशासन ने अग्निहोत्री धर्मशाला सहित कई अन्य धर्मशालाओं और अन्य निर्माणों को ध्वस्त कर दिया है। इस कदम को लेकर स्थानीय लोगों और धर्मशाला के देखरेखकर्ता साहित्यकार रविशुत शुक्ला ने आपत्ति जताई है और मामला विवादों में घिर गया है।
प्रशासन की कार्रवाई और विवाद
अग्निहोत्री धर्मशाला का ध्वस्तीकरण उस समय हुआ जब साहित्यकार रविशुत शुक्ला ने प्रशासन से इसे बचाने की अपील की थी। शुक्ला ने दावा किया कि उन्होंने इस धर्मशाला की देखरेख की थी और इसके लिए उन्हें 43 लाख रुपये पारिश्रमिक के रूप में मिलना चाहिए था। उनका कहना था कि उन्हें कभी इसका पारिश्रमिक नहीं दिया गया। इस मामले पर पिछले पांच दिनों से मंथन चल रहा था, लेकिन अंततः प्रशासन ने धर्मशाला का ध्वस्तीकरण कर दिया।
एसडीएम की जांच और दस्तावेजों की स्थिति
रविशुत शुक्ला द्वारा पेश किए गए दस्तावेज़ उर्दू और फारसी में थे। इन दस्तावेज़ों को एसडीएम द्वारा जांचा गया, लेकिन दस्तावेजों में पुख्ता तथ्यों की कमी पाई गई। जांच में यह भी सामने आया कि जिन दस्तावेज़ों के आधार पर शुक्ला ने अपना दावा किया था, वे नजूल की जमीन से संबंधित थे, जिससे प्रशासन को यह निर्णय लेने में मदद मिली कि धर्मशाला को ध्वस्त किया जाए।
छोटी काशी कॉरिडोर के तहत ध्वस्तीकरण की कार्रवाई
छोटी काशी कॉरिडोर के निर्माण के लिए प्रशासन ने कई भवनों और धर्मशालाओं का चिन्हीकरण किया था। इस प्रक्रिया के तहत अग्निहोत्री धर्मशाला के साथ-साथ कई अन्य धर्मशालाओं और सरकारी निर्माणों को भी ध्वस्त किया गया। प्रशासन ने इन भवनों के ध्वस्तीकरण के लिए सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी कीं और लिखित अनापत्ति पत्र प्राप्त करने के बाद कार्रवाई को अंजाम दिया।
ध्वस्तीकरण की लिस्ट में और भी धर्मशालाएं
इस ध्वस्तीकरण की सूची में केवल अग्निहोत्री धर्मशाला ही नहीं, बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण धर्मशालाएं और सरकारी निर्माण भी शामिल थे। इनका विवरण इस प्रकार है:
- मालपुर धर्मशाला
- थारू धर्मशाला
- अंगद बरेली धर्मशाला
- महादेवा धर्मशाला
- गोस्वामी धर्मशाला
- छह अन्य भवन
- जिला पंचायत द्वारा निर्मित 13 दुकाने
- नगर पालिका की सात दुकाने
- सत्संग भवन
- शौचालय
- अम्बेडकर पार्क के निकट बने शौचालय
इन सभी भवनों को ध्वस्त कर दिए जाने के बाद उनके मलवे को जेसीबी से एकत्र किया गया और डंपरों तथा ट्रालियों से ले जाया जा रहा है।
धार्मिक और प्रशासनिक विवाद
यह घटना एक ओर जहां प्रशासन द्वारा छोटी काशी कॉरिडोर के निर्माण की दिशा में एक सख्त कदम मानी जा रही है, वहीं दूसरी ओर धर्मशाला के देखरेखकर्ताओं और स्थानीय निवासियों द्वारा इस कार्रवाई पर विरोध भी जताया जा रहा है। विशेषकर साहित्यकार रविशुत शुक्ला का आरोप है कि प्रशासन की कार्रवाई से उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, और इस पर उनका पारिश्रमिक भी नहीं दिया गया।