आगरा। सबका साथ-सबका विकास और सभी का विश्वास, यह नारा भाजपा का मूलमंत्र है। पार्टी आम जनता से लेकर अपने कार्यकर्ताओं को इसी मूलमंत्र में समाहित करने का दावा करती है। उधर दूसरी तरफ ताजनगरी के शहर आगरा में कहानी कुछ और बयां कर रही है।
बताया जा रहा है कि नगर निगम आगरा में पार्टी द्वारा नामित होने वाले सदस्यों के लिए रायशुमारी बनाने हेतु संगठन द्वारा प्रदेश के एक राज्यमंत्री को प्रभारी बनाकर भेजा गया। जिला एवं महानगर संगठन की बैठक प्रभारी द्वारा ली गई। इन बैठकों के संपन्न होने के बाद से ही संगठन की रार खुलकर सामने आने लगी है।
संगठन की गुटबाजी खड़े कर रही सवाल
सूत्रों के अनुसार, विगत में आगरा के प्रमुख शहर का प्रतिनिधित्व कर चुकीं माननीय को बैठक में बुलाना जरूरी नहीं समझा गया। संगठन पदाधिकारियों द्वारा प्रभारी को कथित रूप से भ्रमित करते हुए उनकी अस्वस्थता का हवाला दिया गया। प्रभारी भी घाघ संगठन पदाधिकारियों की बातों सहमत दिखने लगी। बैठक समाप्त होनेंके उपरांत जब शिष्टाचार धर्म का पालन करते हुए जब प्रभारी ने माननीय को फोन मिलकर उनकी अस्वस्थता का हाल जाना तो कहानी उल्टी दिखी।
माननीय ने अपने आप को स्वस्थ बताते हुए सूचना नहीं होने का दिया हवाला
बताया जा रहा है कि प्रभारी के फोन के जवाब में माननीय ने साफ रूप से कह दिया कि वह तो बिल्कुल स्वस्थ हैं। मेरे बीमार होने की बात किसने प्रसारित कर दी। मैं अपने शासन से संबंधित कार्यों का निष्पादन कर रही हूं। माननीय की बातों को सुनकर प्रभारी भी अवाक रह गए।
समर्थकों में दिखने लगा उबाल, संगठन की नीतियों को बताने लगा दिखावा
माननीय को बैठक में दरकिनार करना उनके समर्थकों को मायूस कर रहा है। उनके समाज सहित अनुसूचित वर्ग में भी इसको लेकर गहमागहमी दिख रही है। समर्थकों का साफ कहना है कि ऐसे हालातों में आगामी चुनावों में वोट बैंक को कैसे कायम रख पाएंगे। जहां विपक्षी दल अनुसूचित जातियों पर डोरे डाल रहे हैं, वहीं सत्ताधारी दल में शह मात का खेल नहीं थम रहा है।
विधानसभा क्षेत्र में आते हैं नगर निगम के वार्ड
माननीय को दरकिनार किया जाना, उनके विशेषाधिकार के खिलाफ भी है। उनके क्षेत्र में नगर निगम के आधा दर्जन से अधिक वार्ड बताए जा रहे हैं, इसके बावजूद उनको बैठक की सूचना नहीं दिया जाना आगरा में संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है।