आगरा कॊलेजः डॉ. अनुराग शुक्ल पर कसता जा रहा है शिकंजा, फर्जी दस्तावेज़ों के मामले में नए खुलासे

BRAJESH KUMAR GAUTAM
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आगरा कॊलेजः डॉ. अनुराग शुक्ल पर कसता जा रहा है शिकंजा, फर्जी दस्तावेज़ों के मामले में नए खुलासे

आगरा। आगरा कॊलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ल पर लगातार नए आरोप सामने आ रहे हैं, जो उनके कृत्यों को लेकर गहरे सवाल खड़े कर रहे हैं। हाल ही में, सीजेएम के आदेश पर थाना लोहामंडी में डॉ. शुक्ल के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद से पुलिस की जांच में उनकी गिरफ्तारी पर बढ़ते दबाव के बावजूद, डॉ. शुक्ल पर शिकंजा कसता ही जा रहा है।

फर्जी दस्तावेज़ों से जुड़े नए खुलासे

डॉ. शुक्ल पर यह आरोप है कि उन्होंने कई फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अपने कार्यकाल के दौरान अनियमितताएँ कीं। इन दस्तावेजों में शामिल प्रमुख नाम अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी और एनसीईआरटी के कागजात हैं, जिन्हें उन्होंने 2021 में प्राचार्य पद के लिए आवेदन करते समय पेश किया था।

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सनराइज यूनिवर्सिटी का साफ बयान

मार्च 2024 में, जब डॉ. शुक्ल को संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा निलंबित कर दिया गया था, तो जांच के तहत उनके दस्तावेज़ों का सत्यापन कराया गया। सनराइज यूनिवर्सिटी ने यह पुष्टि की कि डॉ. शुक्ल के दस्तावेज़ पूरी तरह से फर्जी हैं। चार अप्रैल 2024 को भेजी गई रिपोर्ट में, सनराइज ने साफ तौर पर यह कहा कि डॉ. शुक्ल द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों का कोई अस्तित्व नहीं है।

फर्जी मेल का इस्तेमाल

इतना ही नहीं, डॉ. शुक्ल ने 17 मई 2024 को एक फर्जी मेल का सहारा लिया। उन्होंने यह मेल सनराइज यूनिवर्सिटी से प्राप्त बताकर अपनी सहीत को साबित करने की कोशिश की, लेकिन यह मेल डॉ. शुक्ल की व्यक्तिगत मेल आईडी पर भेजा गया था, जो कि संदेहास्पद है।

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क्यों भेजा गया था 17 अगस्त का पत्र?

17 अगस्त 2024 को डॉ. शुक्ल ने सनराइज यूनिवर्सिटी से फिर से अपने दस्तावेज़ों के सत्यापन की मांग की, हालांकि इस समय सनराइज यूनिवर्सिटी ने उन्हें पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उनके दस्तावेज़ फर्जी हैं। यह सवाल उठता है कि जब यह जानकारी पहले से थी, तो उन्होंने पुनः यह पत्र क्यों भेजा? क्या यह केवल अपने दस्तावेज़ों को सही ठहराने का एक और प्रयास था?

पुलिस की जांच और आगे की कार्रवाई

पुलिस ने इस मामले में गंभीरता से जांच शुरू कर दी है। लोहामंडी थाना पुलिस ने जब सनराइज यूनिवर्सिटी से संपर्क किया, तो उन्हें यह जानकारी दी गई कि डॉ. शुक्ल के दस्तावेज़ फर्जी थे और उन्होंने पुलिस को भी गलत दस्तावेज़ प्रस्तुत किए थे। इसके अलावा, पुलिस विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि डॉ. शुक्ल ने कई दस्तावेजों में अधिकारियों के नाम का दुरुपयोग किया है, जो उनके खिलाफ और भी कार्रवाई को जन्म दे सकते हैं।

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पुलिस और शिक्षा विभाग के बीच सहयोग

इस मामले में पुलिस और शिक्षा विभाग दोनों ने अपनी तरफ से जांच शुरू कर दी है, और यह संभावना जताई जा रही है कि डॉ. शुक्ल के खिलाफ जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने इस मामले में कई दस्तावेज़ों की जांच की है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस पर और भी खुलासे होंगे।

 

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