आगरा। आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल, डॉ. अनुराग शुक्ला, एक बार फिर कानूनी संकट में फंस गए हैं। आगरा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने थाना लोहामंडी पुलिस को उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद कॉलेज के माहौल में हलचल मच गई है।
आरोप और जांच की जानकारी
इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष ढल ने सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि डॉ. अनुराग शुक्ला ने प्राचार्य का पद फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर प्राप्त किया। इसके अलावा, उन्होंने वित्तीय गड़बड़ी के सबूत भी कोर्ट में पेश किए। इन सबूतों पर गौर करने के बाद, सीजेएम ने पुलिस को गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शासन ने भी प्राचार्य शुक्ला के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच कराई थी, जिसमें नौ डॉक्यूमेंट फर्जी पाए गए थे। इसी कारण शासन ने उन्हें पद से हटाकर कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष, डॉ. सीके गौतम, को कार्यवाहक प्राचार्य बना दिया था।
हाईकोर्ट में जाने का फैसला
डॉ. अनुराग शुक्ला ने शासन के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने स्टे प्राप्त कर फिर से प्राचार्य की कुर्सी पर बैठने का दावा किया। लेकिन अब, सीजेएम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।
वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा
जब डॉ. सीके गौतम ने कार्यवाहक प्राचार्य का चार्ज संभाला था, तब उन्होंने डॉ. अनुराग शुक्ला द्वारा किए गए व्यय की जांच कराई थी। इस जांच में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
भविष्य की संभावनाएँ
इस घटनाक्रम के बाद, कॉलेज प्रशासन और छात्रों में अनिश्चितता का माहौल है। कई छात्र डॉ. शुक्ला के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं शासन के स्तर पर भी इस मामले की गंभीरता को समझा जा रहा है, और संभवतः जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।
डॉ. अनुराग शुक्ला की मुसीबतें अब और बढ़ गई हैं, और यह मामला आगरा कॉलेज की छवि पर भी असर डाल सकता है। क्या वे इस बार फिर से अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएंगे, या उन्हें सच्चाई का सामना करना पड़ेगा, यह तो भविष्य ही बताएगा।