आगरा: एक ओर जहाँ आगरा को स्मार्ट सिटी बनाने के दावे किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर निगम की एक चौंकाने वाली आरटीआई (सूचना का अधिकार) रिपोर्ट ने उसकी संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। आरटीआई के जवाब में नगर निगम ने न सिर्फ यह स्वीकार किया है कि पक्षियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है, बल्कि यह भी बताया कि इसके लिए कोई बजट तक स्वीकृत नहीं किया गया है। पूरे शहर में कहीं भी पक्षियों के लिए चबूतरे या सुरक्षित दाना-पानी स्थलों का विकास नहीं किया गया है।
भीषण गर्मी में पक्षियों का हाल बेहाल, मौतें भी हुईं

यह जवाब ऐसे समय आया है जब भीषण गर्मी के कारण नागरिकों का हाल बेहाल है। ऐसे में पक्षियों की क्या हालत होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। शहर में तमाम पक्षियों की मौतें भी हुई हैं। हर साल जब तापमान चरम पर पहुंचता है और इंसान खुद ठंडी जगहें तलाशने लगता है, तब पक्षियों के लिए यह शहर और भी बेरहम हो जाता है।
निगम की सोच और योजना पर सवाल
पक्षी हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन जब जिम्मेदार संस्थाएं ही उनसे मुंह मोड़ लें, तो सवाल उठना लाज़मी है: क्या एक स्मार्ट सिटी में पशु-पक्षियों के लिए कोई जगह नहीं? नगर निगम की तरफ से इस दिशा में न कोई सोच दिखती है और न ही कोई ठोस योजना।
शुभम सोनी की पहल: स्थायी दाना-पानी चबूतरों की मांग
इसी मुद्दे को लेकर शुभम सोनी की पहल अब एक सवाल बन चुकी है: क्या नगर निगम अब भी जागेगा? शुभम सोनी ने केवल मांग ही नहीं की है, बल्कि सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने मांग की है कि शहर में स्थायी दाना-पानी चबूतरों का निर्माण नगर निगम कराए, ताकि वहां आम लोग भी पक्षियों के लिए दाना-पानी डाल सकें। इस उद्देश्य के लिए नियत बजट आवंटित किया जाए।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने आमजन को भी प्रेरित करने का सुझाव दिया है कि वे अपने घरों की छतों व बालकनियों में पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें। साथ ही, सामाजिक संगठनों और नागरिकों को संगठित होकर निगम पर दबाव बनाने की भी अपील की है।
शुभम सोनी का कहना है कि “छोटे-छोटे प्रयास भी बड़ी राहत ला सकते हैं।” वे कहते हैं, “समय है कि हम सब मिलकर आगरा को एक ऐसा शहर बनाएं, जहां इंसानों के साथ-साथ परिंदों को भी जीने की जगह मिले।
