Agra News: उत्तर प्रदेश पुलिस ने नकली नोटों की छपाई के गोरखधंधे में लिप्त दो अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। यह आरोपी लंबे समय से नकली नोटों की छपाई करके उन्हें बाजार में प्रसारित कर रहे थे। उनके पास से सात हजार रुपये के नकली नोट और छपाई के लिए उपयोग की जाने वाली कई उपकरणों को बरामद किया गया है। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के बाद यह जानकारी भी दी है कि इनके एक साथी, बिट्टू, जो अब तक फरार है, ने इन नकली नोटों को बाजार में भेजा था। पुलिस अब उसे भी पकड़ने के लिए प्रयासरत है।
मुखबिर की सूचना पर हुआ छापा
थाना प्रभारी विजय विक्रम सिंह को मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि एक घर में नकली नोटों की छपाई का काम चल रहा है। सूचना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दरोगा कौशल साहू, सौरभ चतुर्वेदी, अंकित शर्मा, महिला दरोगा सोनी सिंह और कॉन्स्टेबल अरविंद कुमार के साथ आरोपितों के घर पर छापा मारा। पुलिस ने मकान की घेराबंदी करते हुए आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान तेजेंदर उर्फ काका और सुभाष के रूप में हुई है। तेजेंदर मंगोलपुरी नई दिल्ली का रहने वाला है, जबकि सुभाष का घर फतेहपुर सीकरी के नगला लाले गांव में है।
नकली नोटों की छपाई में उपयोग की जाने वाली सामग्री बरामद
पुलिस ने आरोपी के घर से सात हजार रुपये के नकली नोटों के अलावा कई उपकरणों को भी बरामद किया है। इनमें दो मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक कार्ड रीडर, मेमोरी कार्ड, दो प्रिंटर, एक स्कैनर, एक यूएसबी हब, एक स्विच बोर्ड, एक हीट एम्बोजिंग मशीन, एक वाटर मार्क फ्रेम सेटअप, एक सफेद बोतल में केमिकल, दो हाइड्रोजन बोतल, एक डेवलपिंग ट्रे, कैंची, स्केल, फवाईल, कलर के डिब्बे, स्टेपलर, काँच का शीशा, वाटर मार्क गांधीजी, कटर, आठ स्टाम्प पेपर और कई बंडल कॉपियर पेपर शामिल हैं।
नकली नोट छापने का तरीका
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे यूट्यूब से नकली नोट छापने का तरीका सीख चुके थे। पहले असली नोट को स्कैन किया जाता था, फिर फोटोशॉप की मदद से उसके सीरियल नंबर को हटा दिया जाता था। इसके बाद, कोरलड्रा ग्राफिक सॉफ्टवेयर की मदद से अलग-अलग सीरियल नंबर बनाए जाते थे और प्रिंटर से स्टाम्प पेपर पर प्रिंट कर दिए जाते थे। महात्मा गांधी वाटर मार्क को ट्रेसिंग पेपर पर प्रिंट किया जाता था, फिर उसे वाटर मार्क के लिए विशेष फिल्म सेटअप से नकली नोट पर डाला जाता था। अंत में, नोट पर सिक्योरिटी थ्रेड देने के लिए हीट एम्बोजिंग मशीन और हरे रंग की फवाईल का इस्तेमाल किया जाता था। इसके बाद, शीशे और पेपर कटर से नोट की कटिंग कर उसे अंतिम रूप दिया जाता था।
पुलिस की कार्रवाई और भविष्य की योजना
पुलिस अब फरार आरोपी बिट्टू की तलाश में जुटी है, जिसने इन नकली नोटों को बाजार में भेजा था। पुलिस का कहना है कि यह गिरोह बहुत समय से इस अवैध कारोबार में लिप्त था और इसके साथ जुड़े अन्य लोगों को भी जल्द ही पकड़ा जाएगा। इस कार्रवाई को लेकर पुलिस ने कहा है कि यह गिरोह सिर्फ पैसों की तंगी के कारण इस गोरखधंधे में जुटा था, लेकिन अब उन्हें सख्त सजा दिलवाने के लिए कार्रवाई जारी रहेगी।