गोवर्धन: ब्रज में स्थित राधा कुंड और श्याम कुंड की महिमा सदियों से अनूठी रही है। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन इन कुंडों में स्नान करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। इसी मान्यता के चलते हर साल कार्तिक मास की अष्टमी को हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
राधा कुंड का महत्व
राधा कुंड और श्याम कुंड का प्राकट्य दिवस अहोई अष्टमी ही माना जाता है। मान्यता है कि गोवर्धन लीला के दौरान श्रीकृष्ण ने गोवध का पाप धोने के लिए श्याम कुंड खोदा था और राधा जी ने अपने कंगन से राधा कुंड खोदा था। दोनों ने मिलकर इस कुंड में स्नान किया था।
संतान प्राप्ति का वरदान
राधा जी ने श्रीकृष्ण से वरदान मांगा था कि जो भी इस तिथि में राधा कुंड में स्नान करेगा उसे संतान की प्राप्ति होगी। तभी से अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान का विशेष महत्व है।
अहोई अष्टमी का महत्व
कार्तिक मास को बहुत ही पवित्र मास माना जाता है। इस मास में पड़ने वाले व्रत और त्यौहारों का व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। अहोई अष्टमी का व्रत भी इनमें से एक है। माताएं अपने संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं।
राधा कुंड में मेला
24 अक्टूबर को राधा कुंड में अहोई अष्टमी का मेला लगा। मध्यरात्रि 12 बजे से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने राधा कुंड में डुबकी लगाई और मां अहोई की पूजा की।
आस्था का केंद्र
राधा कुंड अब केवल एक कुंड नहीं रहा है, बल्कि यह आस्था का एक बड़ा केंद्र बन गया है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।