श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित प्रसिद्ध हजरतबल दरगाह में शुक्रवार शाम एक बड़ा विवाद सामने आया। ईद-ए-मिलाद के अवसर पर, कुछ लोगों की भीड़ ने दरगाह में लगे अशोक चिन्ह को ईंट से तोड़ दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
घटना का कारण और विरोध रिपोर्टों के अनुसार, हाल ही में दरगाह के नवीनीकरण के दौरान संगमरमर पर अशोक चिन्ह उकेरा गया था, जिसका स्थानीय लोगों द्वारा पहले भी विरोध किया गया था। भीड़ का मानना है कि इस्लाम में मूर्तियों या प्रतीकों का चित्रण करना धार्मिक रिवाजों के विरुद्ध है। इसी नाराजगी के चलते, गुस्साई भीड़ ने इस राष्ट्रीय प्रतीक को क्षतिग्रस्त कर दिया।
नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी:
बीजेपी नेता और वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्रतीक को कलंकित करना एक आतंकवादी हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे एक राजनीतिक दल के “गुंडे” हैं, जिन्होंने पहले भी कश्मीर को बर्बाद किया है। अंद्राबी ने कहा कि हमलावरों ने दरगाह की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पहचान होने पर इन लोगों को जीवन भर के लिए दरगाह में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
विधायक तनवीर सादिक:
दूसरी ओर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि, “मैं कोई धार्मिक विद्वान नहीं हूं, लेकिन इस्लाम में मूर्ति पूजा सख्त मना है। यह सबसे बड़ा पाप है।” सादिक ने हजरतबल दरगाह जैसे पवित्र स्थलों की पवित्रता बनाए रखने पर जोर देते हुए कहा कि वहां पर मूर्ति स्थापित करना इस्लामी मान्यताओं के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि पवित्र स्थलों में केवल “तौहीद” (ईश्वर की एकता) की पवित्रता ही झलकनी चाहिए।
स्थिति और आगे की कार्रवाई
यह घटना जम्मू-कश्मीर में धार्मिक प्रतीकों और राष्ट्रीय प्रतीकों को लेकर चल रहे संवेदनशील मुद्दों को उजागर करती है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और आरोपियों की पहचान करने का प्रयास कर रही है। यह देखना बाकी है कि इस घटना के बाद आगे क्या कार्रवाई होती है।