मोहाली: येशू-येशू के नाम से चर्चित स्वघोषित पादरी बजिंदर सिंह को मोहाली के पॉक्सो कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा 2018 में एक नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में दी गई है। कोर्ट ने पिछले हफ्ते पादरी बजिंदर को दोषी करार दिया था। इस फैसले से पीड़िता को कुछ राहत मिली है, लेकिन वह अब भी डर के साए में जी रही है और उसने अदालत से दोषी को कठोर सजा देने की मांग की थी।
पीड़िता की प्रतिक्रिया
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पीड़िता ने कहा, “वह (बजिंदर) एक मनोरोगी है और अगर वह जेल से बाहर आता है तो यह फिर से वही अपराध करेगा। इसलिए मेरी यह इच्छा है कि वह जेल में ही रहे।” पीड़िता ने यह भी कहा कि आज इस फैसले के साथ बहुत सी लड़कियों की जीत हुई है, जो यौन उत्पीड़न का शिकार हुई थीं लेकिन सामने आकर अपने दर्द का इजहार नहीं कर पाईं। पीड़िता ने पंजाब के डीजीपी से भी सुरक्षा की अपील की क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके और अन्य पीड़ितों पर हमले की संभावना हो सकती है।
पीड़िता के पति की प्रतिक्रिया
पीड़िता के पति ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “हमने इस केस के लिए सात साल तक संघर्ष किया। यह इंसाफ सिर्फ हमारे लिए नहीं, बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए है जिन्होंने यौन उत्पीड़न का सामना किया है और डर के कारण कुछ नहीं कहा।” उन्होंने यह भी बताया कि दोषी पादरी बजिंदर सिंह ने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की और विदेश यात्रा करता रहा, जबकि अदालत के आदेश के बावजूद उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा, “मेरे खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज की गई, हम पर हमला किया गया और मुझे छह महीने जेल में रहना पड़ा। लेकिन मैंने ठान लिया था कि मैं उसे सजा दिलवाऊंगा और मुझे खुशी है कि अब हमें न्याय मिला।”
वकील की सख्त सजा की मांग
पीड़िता के वकील अनिल सागर ने इस मामले में अंतिम सुनवाई के दौरान अदालत से बजिंदर के लिए सख्त सजा की मांग की थी। वकील ने कहा था, “मामले की परिस्थितियों को देखते हुए, बलात्कार के अपराध के लिए 10 से 20 साल की सजा का प्रावधान है। लेकिन इस मामले में मैं अदालत से अनुरोध करता हूं कि दोषी बजिंदर को सबसे सख्त सजा दी जाए क्योंकि उसने धर्म के नाम पर लोगों को धोखा दिया और उनका शोषण किया। इस फैसले से यह संदेश जाएगा कि इस तरह के अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और अन्य पीड़ित भी अपने साथ हुए अत्याचार के बारे में खुलकर बोल सकेंगे।”
मामले की जड़ और अदालत की कार्यवाही
पादरी बजिंदर सिंह ने खुद को धार्मिक व्यक्ति बताकर कई लोगों को अपने जाल में फंसाया और यौन उत्पीड़न के मामलों में दोषी पाया गया। 2018 में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार की घटना को लेकर उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। पुलिस जांच के बाद, बजिंदर को गिरफ्तार किया गया और अदालत में ट्रायल हुआ। इस मामले में छह आरोपियों में से पांच को मामले से मुक्त कर दिया गया, जबकि पादरी बजिंदर को दोषी करार दिया गया और उसे सजा सुनाई गई।
यह फैसला यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक सशक्त कदम साबित हुआ है, जो यह दिखाता है कि धर्म का इस्तेमाल धोखाधड़ी और अपराध को छुपाने के लिए नहीं किया जा सकता। अदालत के इस फैसले से एक मजबूत संदेश जाता है कि समाज में इस तरह के अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।
पीड़िता और उसके परिवार के लिए यह संघर्ष आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अंततः न्याय प्राप्त किया। यह मामले उस सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जिन्होंने कभी यौन उत्पीड़न का सामना किया है और जिनके लिए सामने आकर बोलना कठिन था। अब इस फैसले के बाद, उम्मीद जताई जा रही है कि यौन उत्पीड़न की पीड़िताएं और अधिक आत्मविश्वास के साथ अपनी आवाज़ उठा सकेंगी।
स्वघोषित पादरी बजिंदर सिंह के खिलाफ मिली आजीवन कारावास की सजा यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला समाज में जागरूकता बढ़ाने और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रेरणा देने वाला है। उम्मीद की जाती है कि इस फैसले से अन्य अपराधियों को भी यह संदेश मिलेगा कि अब ऐसे अपराधों के खिलाफ कठोर सजा दी जाएगी।