अयोध्या: मकर संक्रांति से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। प्रशासन ने इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए व्यापक तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन इस बीच एक गंभीर चिंता का विषय बनकर सामने आई है—सरयू नदी का घटता हुआ जलस्तर। यह स्थिति तीर्थयात्रियों के लिए समस्या पैदा कर सकती है, खासकर स्नान के लिए उपयुक्त जलस्तर की कमी को लेकर। सरयू नदी का जल घटने से कई घाटों पर पानी दूर चला गया है, जिससे श्रद्धालुओं को स्नान में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
संत समाज की बढ़ती चिंता
महाकुंभ के आयोजन से पहले इस जलस्तर की समस्या पर संत समाज की चिंता बढ़ गई है। मणिरामदास छावनी के महंत कमलनयन दास ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “सरयू नदी हमारी सबसे पवित्र नदी है, लेकिन नहरों में पानी भेजने के कारण इसका जलस्तर लगातार घट रहा है। महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां स्नान के लिए आएंगे, इसलिए प्रशासन को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए और जलस्तर बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।”
पूर्व सांसद और धर्म प्रचारक डॉ. रामविलास दास वेदांती ने भी इस मामले को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “लक्ष्मण घाट, गोलाघाट और ऋणमोचन घाट पूरी तरह से सूख चुके हैं। नए घाटों पर लोग घुटने भर पानी में स्नान कर रहे हैं। यह स्थिति महाकुंभ के आयोजन के लिए उपयुक्त नहीं है। प्रशासन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक इस समस्या की जानकारी पहुंचानी चाहिए ताकि जल्द से जल्द समाधान निकल सके।”
महाकुंभ के दौरान जलस्तर बढ़ाने की आवश्यकता
संतों और धार्मिक नेताओं ने प्रशासन से निवेदन किया है कि 14 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए स्नान की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। संत समाज का कहना है कि अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह श्रद्धालुओं की आस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। सरयू नदी में पानी का स्तर बढ़ने से श्रद्धालुओं को स्नान की सुविधा मिल सकेगी, जो महाकुंभ के महत्व को और बढ़ा देगा।
महाकुंभ की तैयारी में प्रशासन का दबाव
14 जनवरी से 12 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारियों की शुरुआत कर दी है। लाखों श्रद्धालु तीर्थराज प्रयाग से अयोध्या आने की योजना बना रहे हैं, और इस समय उनके लिए स्नान की व्यवस्था प्रमुख चिंता का विषय बन गई है। पानी का स्तर बढ़ने से श्रद्धालुओं के लिए घाटों पर स्नान करना सुगम हो सकेगा, जिससे आयोजन की सफलता में भी मदद मिलेगी।
इसके अलावा, प्रशासन ने श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए सुरक्षा, यातायात और स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में भी कई कदम उठाए हैं, ताकि महाकुंभ के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। लेकिन जलस्तर की समस्या के समाधान के बिना यह सभी प्रयास अधूरे साबित हो सकते हैं। संत समाज की यह चिंता वाजिब है, और यह देखना होगा कि प्रशासन इसे गंभीरता से लेकर जल्द से जल्द समाधान प्रस्तुत करता है।
संतों की अपील और प्रशासन का उत्तरदायित्व
संतों ने प्रशासन से अपील की है कि वे जलस्तर को बढ़ाने के लिए कोई भी कारगर कदम उठाएं ताकि महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि महाकुंभ का आयोजन सुरक्षित और सुखद रूप से संपन्न हो, और इससे संबंधित सभी तैयारियां समय रहते पूरी हो सकें। अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो यह महाकुंभ के महत्व और श्रद्धालुओं की आस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।