आगरा: गरीबों के लिए जीवन रेखा समान राशन वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई में आगरा जिला प्रशासन ने पीसीएस अधिकारी सुशीला अग्रवाल को बर्खास्त कर दिया है। सुशीला अग्रवाल पर आरोप है कि वह अपने रिश्तेदार के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर राशन कालाबाजारी कर रही थीं और इस तरह गरीबों के हक को चूना लगा रही थीं।
क्या है पूरा मामला?
आगरा में पिछले कुछ समय से राशन कालाबाजारी की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। इन शिकायतों के आधार पर जिला प्रशासन ने जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि पीसीएस अधिकारी सुशीला अग्रवाल अपने रिश्तेदार सुमित अग्रवाल और अर्दली गौरव शर्मा के साथ मिलकर चावल की कालाबाजारी कर रही थीं। यह गिरोह राशन की दुकानों से चावल खरीदकर उसे अन्य राज्यों में बेच देता था।
कैसे हुआ खुलासा?
आगरा जिलाधिकारी को जब इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए छापेमारी करवाई। छापेमारी में बड़ी मात्रा में चावल बरामद हुआ। इस मामले में डीएसओ आगरा संजीव सिंह ने 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। जांच में अर्दली गौरव शर्मा की भूमिका सामने आने पर उसे पहले ही निलंबित किया जा चुका था।
क्यों हुई सुशीला अग्रवाल की बर्खास्तगी?
जांच में यह भी सामने आया कि सुशीला अग्रवाल पद का दुरुपयोग करते हुए निरीक्षकों पर कार्यवाही न करने का दबाव डालती थीं। इस तरह वह राशन कालाबाजारी के इस अवैध कारोबार को बढ़ावा दे रही थीं। शासन ने जांच के बाद सुशीला अग्रवाल को दोषी पाया और उन्हें बर्खास्त कर दिया। सुशीला अग्रवाल के पति वर्तमान में हाथरस में तैनात हैं।
यह मामला क्यों है महत्वपूर्ण?
यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि सरकार गरीबों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस मामले में हुई कार्रवाई से यह संदेश गया है कि राशन कालाबाजारी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह मामला यह भी दर्शाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आम जनता की भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है।