महाकुंभ मेला में संगम किनारे उन्होंने अपना कैंप स्थापित किया है और वे पूरे मेले के दौरान यहां रहेंगे। श्रद्धालु यहां आते हैं, उनसे मिलते हैं, आशीर्वाद लेते हैं और उनकी बातें सुनकर अचरज में पड़ जाते हैं। उनका अनोखा अंदाज और 32 साल से स्नान न करने का निर्णय चर्चा का विषय बना हुआ है।
छोटू बाबा ने 32 साल से स्नान न करने का कारण बताया
गंगापुरी महाराज, जिन्हें छोटू बाबा के नाम से जाना जाता है, ने अपने इस असामान्य निर्णय के पीछे की वजह को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “मैंने 32 साल से स्नान नहीं किया है क्योंकि मेरी एक इच्छा है जो अब तक पूरी नहीं हुई। मेरी इच्छा है कि मैं गंगा में स्नान करूंगा, लेकिन केवल तब जब मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी। हालांकि, महाकुंभ मेला में भाग लेकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। आप सभी को यहां देखकर मैं खुश हूं।” उनका यह बयान उनकी गहरी आस्था और संतुलित जीवन की ओर इशारा करता है।
श्रद्धालुओं का महाकुंभ में उमड़ा सैलाब
महाकुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है और यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। इस बार यह मेला 26 फरवरी तक चलेगा। मेला स्थल पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है और हर दिन लाखों लोग यहां आकर पुण्य कमाते हैं। विशेष रूप से 14 जनवरी, 29 जनवरी और 3 फरवरी को मुख्य स्नान तिथियां निर्धारित की गई हैं। इन तारीखों पर लाखों श्रद्धालु संगम में आकर आस्था की डुबकी लगाएंगे। प्रशासन ने इन तिथियों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था और इंतजाम किए हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।
महाकुंभ मेला 2025: आस्था और आधुनिकता का संगम
महाकुंभ मेला 2025 न केवल आस्था और अध्यात्म का संगम है, बल्कि इसमें आधुनिक तकनीकों का उपयोग भी किया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिल सके। प्रशासन ने मेला स्थल पर सुविधाओं और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा है। डिजिटल कैमरे, ड्रोन, और अन्य आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि मेला आयोजन के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। इसके अलावा, ट्रैफिक प्रबंधन और आवास की व्यवस्थाओं को भी सुव्यवस्थित किया गया है।
सभी व्यवस्था और सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए महाकुंभ मेला को एक सफल और यादगार आयोजन बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
महाकुंभ मेला 2025 में छोटू बाबा जैसे अनोखे संतों का योगदान धार्मिक आस्था को नया आयाम दे रहा है। उनका 32 साल से स्नान न करने का निर्णय एक अनूठी कहानी बनकर सामने आया है, जो श्रद्धालुओं को प्रेरित कर रहा है। यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आस्था और आधुनिकता का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करता है।