उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कमेटी कई वर्षों से अपनी जमीन तलाशने की कोशिश कर रही है। पिछले चुनावी परिणाम पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं रहे हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। क्या इस बार उम्मीद की किरण नजर आएगी? हाल ही में हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने अपनी ताकत दिखाई, लेकिन क्या कांग्रेस अकेले चुनाव जीतने में सक्षम है? कई शहरों और जिलों में पार्टी के नेता सक्रिय नहीं हैं, और कुछ आपसी मतभेदों से भी बाहर नहीं आ पा रहे हैं। क्या वे इस तरह अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएंगे? आपसी फूट और तकरार से पार्टी को नुकसान हो रहा है। UP में सालों से बनवास काट रही कांग्रेस, क्या कभी मिल पाएगा सत्ता का सुख..?
राहुल गाँधी ली मेहनत को मिटटी में मिला रहे
ये बात किसी से छुपी नहीं के राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने पूरे भारत की नजर अपनी ओर आकर्षित की हर रोज कई किलो मीटर पैदल चल कर लोगों के बीच पहुंचे और उनके दुख दर्द सुने और उन्होंने अपने विचार लोगो के बीच रखे। राहुल गांधी की पार्टी के पार्टी इतनी मेहनत इससे पहले किसी ने नही देखी। 2024 का चुनाव राहुल गांधी बड़े ही बेवाकी से लड़ते पूरे भारत और हर राजनेतिक पार्टी ने देखा और उसका परिणाम भी अच्छा आया, तो वही प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कोई कसर नही छोड़ी प्रियंका भी पूरी ताकत से मैदान में कूदी और इसका काफी लाभ भी पार्टी को मिला और एक नई दिशा की ओर पार्टी बढ़ी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस में पार्टी का एक नया उदय और विकास हुआ। राहुल गांधी की वो 5 गारंटी वाली घोषणा 2024 के लोकसभा चुनावों काफी चर्चा का विषय बना। अलग ही अंदाज में लोगो ने उन्हें देखा। लेकिन क्या उसकी थोड़ी भी मेहनत उनके पार्टी के जिम्मेदार जिनके हाथों में शहर और जिले की कमाने हैं वह कर रहे..? गंभीर और विचारनीय विषय है।
प्रदेश से आए कार्यक्रम सिर्फ कार्यालयों तक ही सीमित रहे
पार्टी अगर पिछले कुछ सालों के चुनावो की समीक्षा करे तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का यह हाल हैं की शहर और जिलों के अधिकांश वार्ड और ब्लॉक पर कोई कार्यकर्ता नजर नही आयेगा। खानापूर्ति करने के अलावा अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते नजर आते है। अपने नेताओं की पीठ पर सवार होकर ही अपनी नैय्या पार करना चाहते है। क्या पार्टी के हाई कमानो को इसका अंदाजा नही या उन तक यह जानकारी इतने सालो तक पहुंची ही नही, जाने कितने प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने बदल दिए लेकिन बदलाव फिर भी ना आ सका । पार्टी को इस विषय को गंभीरता से लेते हुए विचार करना चाहिए अगर उत्तर प्रदेश में वह अपना वजूद कायम करना चाहते हैं तो अन्यथा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपनी जमीन तलास करती ही रह जायेगी और कभी उनका बनवास नही कट पाएगा। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को एक सक्रिय और पार्टी हित में कार्य करने वाले जनता के बीच रह कर उनके सुख दुख बांट सके ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की जरूरत है न की एक कमरे में बंद कार्यक्रम आयोजित करने वाले सिमट कर रहे जाने वाले।
धरातल पर उतरने की आवश्यकता
पार्टी के प्रचार प्रसार करने में सुस्ती से पार्टी के द्वारा की गई घोषणा को जनता तक पहुंचाना कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी होती है। जब कार्यकर्ता ही नही तो बात और विचार आगे कोन लेकर जाए। उत्तर प्रदेश में अन्य राजनेतिक संघतानो से कांग्रेस का संघटन काफी धीमी गति से कार्य करने वाला है, जबकि इस समय युवा वोटर सबसे अधिक है पार्टी को युवाओं को आगे लाना चाहिए।
कार्यकर्ताओं से जुड़ाव ना होना भी पार्टी की कमजोरी की वजह
बिना कार्यकर्ता और युवाओं के बीच जा कर केसे जुड़े युवा बिना जनता के बीच बैठ कर उनसे जुड़ाव और ताल मेल न मिला कर चाहते है कि जनता हमे वोट करे, हमारी बाते सुने, हमे सहयोग करे ऐसा केसे संभव है, पहले एक कमरे से बाहर आके बाहर की सर्दी,गर्मी,बरसात तो देखिए जनता के हित के लिए खड़े होने की कूवत रखिए तब जा कर आपका बनवास खतम हो सकेगा ना की चुनावो के समय सक्रियता दिखाने से। जनता है सब जानती है। फल मेहनत मिलता हैं पद पर रह कर आराम करने का नहीं। पार्टी हाईकामनो को सोचना चाहिए और लगातार लगाम कस कर समीक्षा भी करती रहने चाहिए तब जा कर कांग्रेस का कुछ विकास हो पाएगा।