आगरा: वक्फ संशोधन विधेयक-2024 पर बहस और ताजमहल की संपत्ति पर विवाद

2 Min Read

आगरा। वक्फ संशोधन विधेयक-2024 को लेकर देश भर में चर्चा तेज हो गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा है कि इसे लागू करने से फतेहपुर सीकरी और अटाला मस्जिद जैसे प्रमुख स्मारकों की देखरेख पर असर पड़ सकता है। एएसआई का कहना है कि वक्फ बोर्ड के साथ देश के 120 स्मारकों के मुद्दे पर खींचतान चल रही है। उल्लेखनीय है कि वक्फ बोर्ड ने 2005 में ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था, जिसे एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वर्तमान में, वक्फ संशोधन विधेयक-2024 पर संयुक्त समिति ने आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं।

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 2005 में ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित किया था, इस पर मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी याचिका में ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानने की मांग की गई थी।

वक्फ बोर्ड ने ताजमहल को वक्फ संपत्ति के रूप में घोषित कर दिया, हालांकि एएसआई ने इस आदेश का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। वर्ष 2010 में, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के आदेश पर रोक लगा दी और टिप्पणी की कि इस मामले में कोर्ट का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। वक्फ बोर्ड ताजमहल के वक्फनामा को भी पेश नहीं कर सका।

एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शम्सुद्दीन के अनुसार, वक्फ बोर्ड की स्थापना मजारों, मदरसों और मस्जिदों के लिए छोड़ गई भूमि के संरक्षण और देखरेख के लिए की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड ने ताजमहल को संरक्षण के लालच में वक्फ संपत्ति घोषित किया, हालांकि यह स्मारक पहले से ही था।

भारत सरकार ने 1920 में ताजमहल को संरक्षित स्मारक घोषित किया था। इससे पहले, 1858 में ब्रिटिश भारत में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से ली गई संपत्तियों का स्वामित्व ब्रिटिश महारानी के पास चला गया था। ताजमहल आज भी भारत सरकार की संपत्ति है।

Share This Article
Leave a comment

Leave a ReplyCancel reply

error: AGRABHARAT.COM Copywrite Content.
Exit mobile version