आगरा में सिंचाई विभाग पर किसानों के हक पर डाका डालकर हरियाणा को पानी बेचने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सफाई के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार और विभागीय अनियमितताओं की जांच के लिए जेडीसी जांच के आदेश दिए गए हैं, जिससे अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
आगरा। जनपद का सिंचाई विभाग एक बार फिर चर्चाओं में हैं। विभाग के अधिकारियों पर लग रहे सनसनीखेज आरोपों से विभाग की साख पर बट्टा लगता दिख रहा है। जनपद की नहरों में सफाई के नाम पर हुई अनियमितता का मुद्दा अब तूल पकड़ने लगा है। किसान नेताओं ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं।
आपको बता दें कि बीते अक्टूबर माह में सिंचाई विभाग द्वारा जनपद की समस्त नहरों, टर्मिनलों, रजवाहा, माइनरों आदि की सिल्ट सफाई का कार्यक्रम जारी किया था। 31 अक्टूबर तक चलने वाले इस अभियान में कथित रूप से जमकर अनियमितताओं को अंजाम दिया गया। सफाई के नाम पर घास फूस को हटाकर सफाई कार्य को पूरा दिखा दिया गया। कहीं पर भी पटरियों को दुरूस्त नहीं किया गया, जो पहले के डोला बने हुए थे, उनको भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इतना सब होने के बाद जब नहरों में पानी आने का नंबर आया तो यहीं पर किसानों के साथ धोखाधड़ी शुरू हो गई। किसान पलेवट के लिए नहरों में पूरी क्षमता के साथ पानी आने का इंतजार कर रहे थे, यह इंतजार अधूरा हो साबित हुआ।
आगरा की नहरों में पानी आने से पहले ही हरियाणा में हो गया खेला
किसान नेता श्याम सिंह चाहर समेत अन्य किसान नेताओं ने विभागीय अधिकारियों पर खुलकर आरोप लगाते हुए कहा है कि आगरा में डबल गेम खेला गया है। पहले तो सफाई के नाम पर लगभग ₹20 करोड़ के बजट का बंदरबांट कर दिया गया। नहरों की सफाई में जमकर अनियमितताएं हुई। विभागीय अधिकारियों ने अपनी आँखें बंद करके इस घोटाले को अपनी मूक सहमति दी जाती रही। इसके बाद तस्वीर का दूसरा पहलू यह रहा कि आगरा की नहरों में पूरी क्षमता के साथ पानी आया ही नहीं। अगर पानी छोड़ा जाता तो विभिन्न स्थानों पर पटरियां टूटने से किसानों के खेत जलमग्न होते। इसका ठीकरा अधिकारियों पर फूटता, इसकास तोड़ निकालने के लिए नहरों में पूरी क्षमता के साथ पानी छोड़ा हो नहीं गया। आगरा के किसानों के हक कर डाका डालकर पानी को हरियाणा में बेच दिया गया।
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सत्ताधारियों को मिले थे सफाई के ठेके
सूत्रों के अनुसार नहरों की सफाई के ठेके में सत्ताधारी दल एवं सहयोगी दलों से जुड़े ठेकेदारों की भूमिका रही। इनके रसूख के आगे विभागीय अधिकारी नतमस्तक बने रहे। सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई।
जेडीसी जांच के आदेश होने पर आने लगे पसीने
नहरों के मुद्दे पर मुखर किसान नेताओं द्वारा विगत में कमिश्नर आगरा को शिकायत दी गई थी। कमिश्नर द्वारा सिंचाई विभाग के अधिकारियों को आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। विभागीय अधिकारियों की आख्या सिर्फ अपनों को बचाने वाली थी। इधर लामबंद चल रहे किसान नेताओं द्वारा पूरे प्रकरण से कमिश्नर को अवगत कराया गया। जिसके बाद कमिश्नर के आदेशानुसार अपर आयुक्त प्रशासन द्वारा संयुक्त विकास आयुक्त को जेडीसी जांच का जिम्मा सौंपा गया है। किसान नेताओं द्वारा दिए गए समस्त बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। इधर सिंचाई विभाग में इस घटनाक्रम के बाद खलबली मच गई है।