खेरागढ़, आगरा। योगी सरकार के राज में कानून और व्यवस्था के दावे जहां पुलिस प्रशासन द्वारा किए जा रहे हैं, वहीं आगरा पुलिस कमिश्नरेट के एक दरोगा की गुंडई ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता को शर्मसार कर दिया है। घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आगरा जिले के थाना सैंया क्षेत्र में पत्रकार को बीच सड़क पर अपमानित करने की यह घटना अब सुर्खियों में है, जिसके बाद पत्रकारों ने दरोगा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
पत्रकार के साथ हुई गुंडई की घटना
मंगलवार को सैंया चौराहे पर एक बिना नंबर प्लेट वाला डंपर गलत दिशा से आ रहा था, जब डंपर चालक ने अचानक मोड़ लिया और राजस्थान से आ रही एक कार से टक्कर मार दी। कार में हुए इस हादसे को कवरेज करने के लिए दैनिक स्वदेश समाचार पत्र के संवाददाता, उत्कर्ष गर्ग, मौके पर पहुंचे थे। घटना की कवरेज करते समय थाना सैंया में तैनात दरोगा उदयवीर सिंह मावी ने पत्रकार के साथ अभद्रता की। उन्होंने पत्रकार की गर्दन पकड़ी, गालियां दीं और धक्का मारते हुए उन्हें वहां से हटाने की कोशिश की, जबकि मौके पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मी यह सब तमाशा देखते रहे।
दरोगा का तानाशाही रवैया और पुलिस का निष्क्रियता
यह घटना मंगलवार शाम 5 बजकर 39 मिनट पर हुई जब डंपर और कार की टक्कर हुई थी। पत्रकार उत्कर्ष गर्ग द्वारा घटना की कवरेज की जा रही थी कि तभी दरोगा ने पत्रकार के साथ यह दुर्व्यवहार किया। घटना की जानकारी देते हुए उत्कर्ष गर्ग ने बताया कि दरोगा बिना नंबर प्लेट के डंपर का बचाव कर रहे थे, और जब पत्रकार ने इसकी कवरेज शुरू की, तो वह गुस्से में आ गए और उन पर हमला किया। इसके बाद उन्होंने घटना की जानकारी तत्काल थाना प्रभारी, एसीपी सैंया, और अन्य पुलिस अधिकारियों को दी।
इसके अलावा, संवाददाता ने इस घटना की सूचना यूपी के डीजीपी कंट्रोल रूम, डीसीपी पश्चिमी, अपर पुलिस आयुक्त और पुलिस आयुक्त को भी दी। अधिकारियों ने पत्रकार की शिकायत पर ध्यान देने का आश्वासन दिया और घटना की जांच की बात कही।
पत्रकारों का विरोध और कार्यवाही की मांग
घटना के बाद पत्रकार संगठनों ने न केवल इस घटना की निंदा की, बल्कि पुलिस प्रशासन से दरोगा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। पत्रकारों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब आगरा पुलिस द्वारा पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया हो। इससे पहले भी कई बार पुलिस द्वारा मीडिया को दबाने की कोशिशें की जा चुकी हैं।
पत्रकार संगठनों ने आगरा पुलिस कमिश्नरेट और उत्तर प्रदेश पुलिस के उच्च अधिकारियों से मांग की है कि इस मामले में दोषी दरोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार के कृत्य को रोका जा सके और पत्रकारों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पत्रकारिता का अधिकार और पुलिस का दायित्व
यह घटना न केवल आगरा पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता के अधिकार पर भी एक हमला है। लोकतंत्र में मीडिया का कर्तव्य है कि वह समाज में हो रहे घटनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाए, लेकिन जब पत्रकारों को अपनी सुरक्षा की चिंता हो, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरे की बात है।