लंबे समय के बाद ऐसा बजट पेश किया गया है, जिसे न तो चुनावी बजट कहा जा सकता है और न ही यह लोक लुभावन है, फिर भी यह बजट सभी वर्गों के लिए उत्साहजनक है। आम आदमी से लेकर अर्थशास्त्रियों, रेढ़ी वालों से लेकर लघु-मध्यम उद्योगों, हैवी उद्योग से लेकर कैपिटल मार्केट तक, सभी ने इस बजट का स्वागत किया है।
आम आदमी को मिली राहत
इस बजट में नौकरी पेशा और छोटे-मध्यम व्यापारी वर्ग को राहत दी गई है। आयकर में उम्मीद से अधिक राहत दी गई है। 10 लाख रुपये तक की आय पर कर मुक्त की उम्मीद थी, लेकिन अब यह सीमा 12 लाख रुपये तक कर दी गई है। 12 लाख से 25 लाख तक आय वाले लोगों को 80 हजार से लेकर 1.10 लाख रुपये तक अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। यह अतिरिक्त खर्च के रूप में आएगा, जिससे जीडीपी को गति मिलेगी। इससे आम आदमी अपने कार लोन, घर लोन की ईएमआई भर सकता है और अपनी जीवन शैली को बेहतर बना सकता है।
रोज़गार पर ध्यान
सरकार ने इस बजट में रोजगार सृजन पर गंभीरता और प्रतिबद्धता दिखायी है। जूते जैसे उद्योग, जो समाज के शोषित वर्ग के लिए रोजगार के अवसर और विदेशी मुद्रा अर्जन के लिए अपार संभावनाएं रखते हैं, को विशेष ध्यान दिया गया। सरकार ने इस उद्योग के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
पर्यटन और पर्यावरण में सुधार
इस बजट में पर्यटन क्षेत्र के लिए भी बड़ा खर्च किया गया है। 50 नए पर्यटन स्थल विकसित करने का प्रस्ताव है, साथ ही हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को इंफ्रा का दर्जा देने की योजना है। यह कदम रोजगार सृजन में मदद करेगा और पर्यटन के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार लाएगा।
इसके साथ ही, अर्बन डेवलपमेंट, ग्राम विकास, पर्यावरण सुधार, रिन्यूएबल एनर्जी और एआई केंद्रों के लिए भी प्रस्तावित योजनाएं हैं। इन सभी योजनाओं से समग्र विकास को गति मिलेगी और देश में हर क्षेत्र का संतुलित विकास संभव होगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव
स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं। कैंसर जैसे जानलेवा रोगों के इलाज की सुविधा अब सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाएगी। इससे आम आदमी को लाभ मिलेगा, जिनके लिए पहले कैंसर जैसे गंभीर इलाज महंगे और कठिन थे। अब यह इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध होगा।
आर्थिक सर्वे और भविष्य की दिशा
2024-25 के आर्थिक सर्वे को उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता, लेकिन सरकार के द्वारा उठाए गए कदम बहुत ही सटीक और दूरदर्शी हैं। सरकार जानती है कि मौजूदा जीडीपी दर 6.3 प्रतिशत या 6.8 प्रतिशत से हम विकसित भारत के लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते। इस दिशा में सरकार की योजना जीडीपी वृद्धि दर को कम से कम 8 प्रतिशत और फिर डबल डिजिट पर लाने की है।
इसके लिए सरकार ने फूंक-फूंक कर कदम उठाए हैं, जिसमें महंगाई की दर को नियंत्रित करने, आर्थिक घाटे को सीमित करने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इन उपायों में आम आदमी की क्रय शक्ति को बढ़ाना और कर के अतिरिक्त स्रोत विकसित करना शामिल है। एसेट मॉनेटाइजेशन, विनिवेश और पीपीपी मॉडल के जरिए इन उपायों को लागू किया जाएगा।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जनता इस बजट का कितना लाभ उठाती है और धरातल पर इसके कितने क्रियान्वयन होते हैं। हर भारतीय को यह सोचने की आवश्यकता है कि वह अपने लिए ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी किस प्रकार योगदान दे सकता है।
इस बजट के साथ सरकार ने आर्थिक सुधार और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और उम्मीद की जा रही है कि यह देश को प्रगति की दिशा में एक नए मुकाम तक पहुंचाएगा।