जैथरा (एटा): प्रभारी चिकित्साधिकारी (एम ओ आई सी) जैथरा डॉ. राहुल चतुर्वेदी की लापरवाही और अनुशासनहीनता एक बार फिर सुर्खियों में है। जिला अधिकारी एटा द्वारा दो बार प्रतिकूल प्रविष्टि (नकारात्मक रिपोर्ट) दिए जाने के बावजूद उनकी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है। इस लापरवाही के कारण न केवल क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि प्रशासन के लिए भी यह गंभीर चुनौती बन गई है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा प्रतिकूल असर
जैथरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को समय पर इलाज और आकस्मिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि प्रभारी चिकित्साधिकारी की लापरवाही के कारण अस्पताल में जरूरी सेवाएं बाधित हो रही हैं। सरकारी आवास होने के बावजूद डॉ. राहुल चतुर्वेदी अस्पताल में नियमित रूप से नहीं रहते हैं, जिससे आपातकालीन स्थितियों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति की समस्या उत्पन्न हो रही है।
प्रशासन की सख्ती बेअसर
जिला अधिकारी एटा द्वारा दो बार प्रतिकूल प्रविष्टि और चेतावनी देने के बावजूद डॉ. राहुल चतुर्वेदी की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, पहले भी उनके खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई न होने के कारण उन्होंने सुधार की कोई कोशिश नहीं की है। यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
स्थानीय जनता में आक्रोश
स्थानीय निवासियों का कहना है कि अस्पताल में सुविधाओं की कमी और लापरवाही के चलते उन्हें निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। लोगों ने जिला प्रशासन से इस मामले में सख्त कदम उठाने की मांग की है और आशंका जताई है कि अगर प्रशासन ने जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया, तो स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और भी खराब हो सकती है।
क्या होगा आगे?
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यदि डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने जल्द ही अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं किया, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसमें स्थानांतरण, निलंबन या सेवा समाप्ति जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
जैथरा क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि प्रशासन इस मामले को प्राथमिकता से सुलझाए, ताकि क्षेत्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।