आगरा: भारतीय अति पिछड़ा वर्ग महासंघ ने सुरसदन में आयोजित अधिकार रैली में अति पिछड़े समाज के लिए आरक्षण में वर्गीकरण की मांग को लेकर आवाज उठाई। मुख्य वक्ता अशोक कुमार ने कहा कि अति पिछड़ा समाज को अपनी आवाज़ सरकार तक पहुँचाने के लिए निरंतर आंदोलन करने की ज़रूरत है।
अशोक कुमार ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा, “जिनकी जितनी हिस्सेदारी है, उनकी उतनी भागीदारी होनी चाहिए। आज़ादी से पहले भगत सिंह को अपनी बात रखने के लिए बम विस्फोट करना पड़ा था। हमें भी अपने हक के लिए संघर्ष करना होगा।” उन्होंने वर्तमान सरकार के कपूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि सरकार समाज के प्रति गंभीर है।
महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गौरव नंद ने कहा, “पिछड़ा समाज को डॉ. भीमराव अंबेडकर के बाद सबसे ज़्यादा सम्मान कांशीराम ने दिया। हमें अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी। जातिगत वर्गीकरण के बिना हमें सम्मान नहीं मिलेगा।”
वक्ता अल्केश सविता ने आरक्षण की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण में सत्ता पक्ष की संबद्ध जातियां लाभ उठा रही हैं। उन्होंने मांग की कि अति पिछड़ा वर्ग को 20 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग को 7 प्रतिशत का फ़ायदा दिया जाना चाहिए।
जयकिशन ठाकुर ने बिहार और कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां अति पिछड़ा वर्ग के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग की।
चंद्रपाल सिंह ने 1977 में गठित आयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि पेशेवर जातियों को अलग से आरक्षण दिया जाना चाहिए।
संजय सेन ने राजनीतिक दलों से अपील की कि जो पिछड़े वर्ग में वर्गीकरण करेंगे, उन्हें अति पिछड़ा वर्ग का समर्थन मिलेगा। उन्होंने लखनऊ में एक बड़ी रैली के आयोजन की बात भी की, जिसमें अति पिछड़ा समाज सरकार के समक्ष आरपार की लड़ाई के लिए संकल्पित है।
इस अवसर पर कई अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे, और कार्यक्रम का संचालन पार्षद अरविंद मथुरिया ने किया। रैली में शामिल सभी नेताओं और समाज के लोगों ने मिलकर अति पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता का प्रदर्शन किया।