भरतपुर: महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय का पंचम दीक्षान्त समारोह आज बीडीए ऑडिटोरियम में भव्यता के साथ संपन्न हुआ. माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे ने समारोह की अध्यक्षता की, जबकि उप मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे.
राज्यपाल का उद्बोधन: ज्ञान, कौशल और सामाजिक योगदान पर बल
राज्यपाल श्री बागडे ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्ञान का परिदृश्य पूरे विश्व में तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. उन्होंने जोर दिया कि वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के चलते विश्वभर में कुशल कामगारों की जरूरत और मांग बढ़ेगी. उन्होंने युवाओं से तार्किक एवं रचनात्मक रूप से सोचने और बदलती परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को तैयार करने का आह्वान किया.
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में बौद्धिक क्षमता के आकलन की सुव्यवस्थित पद्धति पर जोर देते हुए कहा कि इससे युवाओं के कौशल एवं ज्ञान का पारदर्शिता से आकलन हो सकेगा. उन्होंने शिक्षा को एक बीज की भांति बताया, जो निरंतर जीवन को निखारने का कार्य करती है. उनका कहना था कि जिस प्रकार एक बीज पेड़ बनकर समाज को ऑक्सीजन, फल, फूल, छाया, ईंधन आदि देता है, उसी प्रकार शिक्षा प्राप्त करने वाले को भी अपने ज्ञान का उपयोग समाज की प्रगति में करना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा का उद्देश्य जीविकोपार्जन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसका उपयोग समाज को दिशा देने एवं उत्थान के लिए होना चाहिए.
उन्होंने हमारी पुरातन संस्कृति एवं शिक्षा पद्धति को विश्वभर में अग्रणी बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों में इसे संरक्षित करते हुए शोध कार्य को प्रोत्साहन देना चाहिए. उन्होंने युवाओं से अनुसंधान के माध्यम से नए ज्ञान का सृजन कर देश के विकास में भागीदार बनने का आह्वान किया. राज्यपाल ने शिक्षाविदों से शिक्षा को उन्मुक्त बनाकर अधिक से अधिक फैलाने का आग्रह किया, क्योंकि जितना विस्तार होगा युवाओं में उतनी ही बौद्धिक क्षमता का विकास होगा. उन्होंने इस बात पर गर्व करने को कहा कि जब विश्व में उच्च शिक्षा के लिए 6 विश्वविद्यालय हुआ करते थे, तब भारत में दो विश्वविद्यालय नालंदा एवं तक्षशिला विद्यमान थे, जहाँ विदेशी विद्यार्थी भी विद्या प्राप्त करने आते थे. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि समारोह में बालिकाओं की संख्या अधिक है, जो हर क्षेत्र में नारी शक्ति की बढ़ती पहचान को दर्शाता है.
उपमुख्यमंत्री का संदेश: ज्ञान के प्रकाश से समाज को नई दिशा
उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि विश्वविद्यालय ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले आलोक रहे हैं, और यहीं से ज्ञान का प्रकाश विद्यार्थियों के ज़रिए चहुंओर फैलता है. उन्होंने कहा कि आचार्य शास्त्रों के ज्ञान के सत्य को अपने विद्यार्थियों में संप्रेषित कर उन्हें बौद्धिक सामर्थ्य के साथ तैयार करें, जिससे समाज को नई दिशा मिल सके. उन्होंने दीक्षांत समारोह को हमारी प्राचीन संस्कृति की ओर ले जाने वाला बताया, जब गुरुकुल में अध्येता शिक्षार्थी अध्ययन पूरा कर गृहस्थ में प्रवेश करते थे. इसी प्रकार दीक्षांत के बाद विद्यार्थी अपनी शिक्षा का उपयोग समाज के विकास एवं उन्नति में लेकर देश-प्रदेश का नाम रोशन करें. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा के विस्तार एवं नवीन शिक्षा पद्धति के अनुसार सुविधाएँ प्रदान करने के लिए संकल्पित है. उन्होंने उपाधियाँ एवं पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनसे अपनी सफलताओं और उपलब्धियों को समाज को लाभान्वित करने का आह्वान किया.
विश्वविद्यालय की उपलब्धियां और पदक विजेता
कुलगुरु प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि भरतपुर, डीग एवं धौलपुर जिले के 171 कॉलेज इससे जुड़े हुए हैं. विश्वविद्यालय प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए नवीन संकाएँ निरंतर शुरू कर रहा है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव चव्वन सिंह जौरवाल ने समारोह का संचालन करते हुए दीक्षार्थियों एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया.
दीक्षांत समारोह में कुल 36 स्वर्ण पदक और 8 सिल्वर पदक प्रदान किए गए. श्रुति जैन को चांसलर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया, जबकि स्वाति शर्मा को जगवंत राय बंसल मेडल मिला. श्रीमती सुफाल माला बंसल मेडल पायल को, और हाकिम सिंह त्यागी मेडल प्रियंका सिंहोलिया एवं देवरिशु चौहान को दिया गया. इसके अतिरिक्त, 15 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की गई.
इस अवसर पर संभागीय आयुक्त डॉ. टीना सोनी, जिला कलक्टर कमर चौधरी, जिला कलक्टर डीग उत्सव कौशल, पुलिस अधीक्षक दिगंत आन्नद, आयुक्त बीडीए कनिष्क कटारिया, सीईओ जिला परिषद मृदुल सिंह, जिलाध्यक्ष शिवानी दायमा, विश्वविद्यालय के डॉ. अरुण पाण्डे, डॉ. फरगट सिंह सहित सभी डीन और प्रोफेसर उपस्थित रहे.