नई दिल्ली । मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन और उनके कथित सहयोगियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में कई तरह के आरोप लगाए गए हैं। चार्जशीट के अनुसार साल 2018 में सत्येंद्र कुमार जैन से जुड़ी कुछ कंपनियों की ओर से कथित तौर पर 16 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग की गई थी जिसमें से 1 करोड़ रुपये की हेराफेरी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल के माध्यम से की गई।
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चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि जेल में बंद दिल्ली के मंत्री ने कथित तौर पर स्कूल के खातों में नकद जमा किया। इसके बदले स्कूल ने मंत्री के सहयोगियों के नाम पर चेक जारी किए। फिर इसे जैन की ओर से चलाई जा रही कथित एक कंपनी के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।
चार्जशीट के अनुसार 12 जून 2018 19 जून 2018 और 27 जून 2018 को स्कूल के खाते में कथित रूप से 40 लाख रुपये 20 लाख रुपये और 25 लाख रुपये जमा किए गए थे। फिर स्कूल ने उसी महीने ट्रांसफर कर दिए थे।
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वहीं स्कूल की चेयरपर्सन ने कहा चीजें मेरे पति मैनेज कर रहे थे। मैं केवल स्कूल के शैक्षणिक पक्ष से जुड़ी हूं। वहीं हाईकोर्ट ने सत्येंद्र जैन समेत तीन आरोपियों की कथित भूमिका को ईडी से स्पष्ट करने को कहा। तीनों आरोपियों ने इस मामले में जमानत देने का अनुरोध किया है।
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जज दिनेश कुमार शर्मा आरोपियों की जमानत याचिकाओं से जुड़ी दलीलों पर सुनवाई कर रहे थे। जज ने ईडी के वकील से कहा इन तीन व्यक्तियों की क्या भूमिका तय की गई? आप आज शाम तक इसे दोबारा दाखिल करें। सह आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन ने निचली अदालत के 17 नवंबर 2022 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
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सुनवाई के दौरान ईडी के वकील ने दावा किया कि वैभव और अंकुश ने जानबूझकर धन शोधन में सत्येंद्र जैन की मदद की। वैभव और अंकुश के वकील ने कहा कि जांच अवधि के भीतर अपराध से कोई आय उत्पन्न नहीं हुई इसलिए धन शोधन का अपराध नहीं हुआ।