मुलाकात के दौरान प्रमुख मुद्दे उठाए गए
एडवोकेट सरोज यादव ने बताया कि 17 सितंबर 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस को सौंपे गए ज्ञापन का हवाला देते हुए कहा कि कचहरी परिसर में कुछ मामूली सुधार किए गए, जैसे पिंक टॉयलेट्स और गंगाजल की सप्लाई, लेकिन इसके बाद भी कई समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक जज को यह जानकारी दी गई कि परिसर में व्याप्त भ्रष्टाचार और अन्य समस्याओं की वजह से न्यायिक कार्यों में विलंब हो रहा है, जो न्याय तंत्र की गरिमा को नुकसान पहुँचा रहा है।
गाजियाबाद के घटनाक्रम पर कार्रवाई की मांग
एडवोकेट यादव ने गाजियाबाद कोर्ट में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह घटना न्यायिक अधिकारियों की मनमानी और हठधर्मी का परिणाम थी, जो वकील समुदाय के प्रति अपमानजनक और अभद्र व्यवहार का प्रतीक थी। उन्होंने मांग की कि इस मामले में तत्काल एक्शन लिया जाए और दोषी न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
आगरा कचहरी में सुधार की जरूरत
एडवोकेट सरोज यादव ने प्रशासनिक जज से अनुरोध किया कि आगरा कचहरी में भ्रष्टाचार और न्यायिक अधिकारियों द्वारा वकीलों से किए जा रहे अभद्र व्यवहार पर अंकुश लगाने के लिए 360 डिग्री सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इसके अलावा, कचहरी के निरीक्षण को छद्म वादी बनकर और गोपनीय रूप से किया जाए ताकि वास्तविकता का सही आकलन किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ये सुधार लागू नहीं होते हैं, तो आगरा में गाजियाबाद जैसी घटनाएं घट सकती हैं, जिसका नुकसान न्याय तंत्र को होगा।
वकीलों के हाऊस अरेस्ट पर कड़ी आपत्ति
इसी दौरान एडवोकेट सरोज यादव ने आगरा में प्रशासनिक जज के विजिट से पूर्व सेशन कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों महताब सिंह और अन्य को हाऊस अरेस्ट किए जाने की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई केवल इस कारण की गई ताकि सच्चाई सामने न आ सके और वकील अपने काम को सही तरीके से न कर सकें। इस घटना की वजह से कई वकील अपने मुवक्किलों के लिए जरूरी कार्य नहीं कर पाए, जबकि न्याय प्रणाली में शीघ्र और सस्ता न्याय देने की अवधारणा को प्रमुखता से रखा जाता है।
ज्ञापन देने वालों में ये थे शामिल
इस ज्ञापन देने वालों में एडवोकेट अनुराग सिंह, योगेश दीक्षित, सुधीर गर्ग, शायना, तनु और अन्य प्रमुख वकील मौजूद थे।