पटना। दारोगा रश्मि रंजन ने बुधवार की सुबह साढ़े आठ बजे स्वयं को घर के बाथरूम में सरकारी पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या करने की कोशिश की। उन्होंने हवाईअड्डा थानांतर्गत राजाबाजार में पिलर नंबर 70 के समीप बीएस रेसीडेंसी नामक अपार्टमेंट के बी ब्लाक स्थित फ्लैट संख्या 202 में आत्मघाती कदम उठाया।
लहूलुहान हालत में दारोगा को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया
गोली चलने की आवाज सुनकर पत्नी और एक रिश्तेदार बाथरूम में गए तो रश्मि फर्श पर बेसुध पड़े थे। उन्होंने स्थानीय थाने को सूचना दी। इसके बाद लहूलुहान हालत में दारोगा को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां उनकी हालत नाजुक बनी है। इधर, वारदात की सूचना पर डीआइजी सह एसएसपी राजीव मिश्रा समेत कई वरीय अधिकारी अस्पताल पहुंचे। सचिवालय डीएसपी सुशील कुमार ने बताया कि औरंगाबाद में दर्ज एक मुकदमे में रश्मि रंजन आरोपित थे।
गोली की आवाज सुन पत्नी के हाथ से छूट गया बर्तन
सुबह रश्मि के एक रिश्तेदार घर पर आए थे। उनके साथ बैठकर उन्होंने चाय पी। उनके रिश्तेदार बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस में हैं। दोनों ने काफी देर तक बातचीत की, फिर नहाने की बात कहकर बाथरूम की तरफ बढ़ गए। उनकी पत्नी खाना तैयार करने के लिए किचन में चली गईं। वारदात के समय उनका एक बेटा औरंगाबाद में था।
रश्मि के बाथरूम में जाते ही रिश्तेदार भी बाहर की तरफ चले गए, तभी गोली चलने की आवाज सुनाई दी। वे उल्टे पांव लौट आए। उनकी पत्नी के हाथ बर्तन छूट गया। वह भी दौड़ीं। दोनों बाथरूम में गए तो रश्मि के सिर से खून बह रहा था। उन्हें अपार्टमेंट के नीचे लाए। वहां एक चिकित्सक ने अपने लिया ओला कैब मंगाया था। उसी कैब से दोनों रश्मि को अस्पताल लेकर गए।
घटना से पहले पत्नी को बता दिया डेबिट कार्ड का पिन कोड
रश्मि ने आत्महत्या का फैसला कर लिया था। सुबह उन्होंने पत्नी को कमरे में बुलाया और डेबिट कार्ड का पिन कोड बताया। हालांकि, उन्हें समझ नहीं आया कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। रिश्तेदार से बातचीत के दौरान भी उनके हाव-भाव से ऐसा नहीं लगा कि वे आत्मघाती कदम उठा सकते हैं। बाद में मालूम हुआ कि बाथरूम में जाने से पहले वे सारे डेबिट कार्ड बाहर टेबल पर रख दिए थे।
औरंगाबाद के रहने वाले हैं रश्मि, प्रशिक्षण के समय हुआ था केस
रश्मि मूलरूप से औरंगाबाद जिले के देव थानांतर्गत श्रीनगर अहरी के रहने वाले हैं। बिहार पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के लिए वर्ष 2009 में उनका चयन हुआ था। बताया जाता है कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के दौरान ही उनके विरुद्ध औरंगाबाद जिले में एक हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था।
वे पटना के सिगोड़ी समेत कई थानों में थानेदार भी रहे थे। फिलवक्त उनकी तैनाती स्पीडी ट्रायल शाखा में थी। हत्या के मुकदमे की वजह से उन्हें इंस्पेक्टर में प्रोन्नति नहीं हुई थी। दो वर्ष पूर्व उन्हें जुड़वा बेटे हुए थे। परिवार ने पिछले वर्ष 27 दिसंबर को दोनों का जन्मदिन मनाया था।
सूत्र बताते हैं कि गोली सिर को भेदती हुई निकल गई। अस्पताल में उन्हें जीवन समर्थन प्रणाली (लाइफ सपोर्ट सिस्टम) पर रखा गया है। चिकित्सकों ने अभी आपरेशन करने से इन्कार कर दिया। 24 घंटे की निगरानी के बाद चिकित्सक आगे के उपचार पर निर्णय लेंगे।