हरियाणा की IPS अधिकारी पूजा यादव की प्रेरणादायक कहानी, छोड़ दिया था विदेशी नौकरी का करोड़ों का पैकेज, देश की सेवा को क्रैक किया UPSC

Dharmender Singh Malik
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IPS अधिकारी पूजा यादव

भारत में सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। हर साल हजारों उम्मीदवार इस परीक्षा में भाग लेते हैं, जिसमें आईएएस, आईएफएस, आईआरएस, और आईपीएस जैसे प्रतिष्ठित पदों के लिए प्रतिस्पर्धा होती है। इस परीक्षा की चुनौतियाँ केवल इसकी कठिनाई तक सीमित नहीं हैं; यह एक लंबा और थकाऊ प्रक्रिया है जिसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा, और साक्षात्कार शामिल होते हैं। हालांकि, कुछ ही उम्मीदवार इस सफर में सफल होते हैं।

पूजा यादव की कहानी

हरियाणा की रहने वाली पूजा यादव ने 2018 में UPSC परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी के रूप में नियुक्ति प्राप्त की। पूजा की कहानी केवल उनकी सफलता की नहीं, बल्कि उनकी संघर्ष की भी है। उन्होंने देश की सेवा के लिए जर्मनी में अपनी नौकरी छोड़ दी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका लक्ष्य कितना ऊँचा था।

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विदेशी नौकरी छोड़ने का साहस

पूजा का जन्म 20 सितंबर 1988 को हुआ और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हरियाणा में पूरी की। उन्होंने बायोटेक्नोलॉजी और फूड टेक्नोलॉजी में एमटेक किया और कुछ समय कनाडा और जर्मनी में काम किया। लेकिन, पूजा ने जल्द ही महसूस किया कि उनका योगदान भारत के विकास के मुकाबले दूसरे देशों में ज्यादा हो रहा है। यही कारण था कि उन्होंने अपनी विदेशी नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी करने का फैसला किया।

परिवार का समर्थन

पूजा के परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया, चाहे वह एमटेक कर रही हों या UPSC की तैयारी। हालांकि, उनकी आर्थिक स्थिति काफी मजबूत नहीं थी। इसलिए, उन्होंने अपने खर्चे उठाने के लिए रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम किया और छात्रों को ट्यूशन भी दिया। उनके परिवार का समर्थन उन्हें कठिनाइयों में भी मजबूत बनाए रखा।

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UPSC में सफलता

पूजा ने अपनी नौकरी छोड़ने के बाद UPSC की तैयारी शुरू की। यह एक आसान रास्ता नहीं था; उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी मेहनत और समर्पण से उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 2018 में सिविल सेवा परीक्षा पास की, जिसमें उन्हें ऑल इंडिया रैंक 174 मिली। वह वर्तमान में प्रतिष्ठित गुजरात कैडर में एक आईपीएस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।

पूजा यादव की कहानी यह दर्शाती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर इच्छाशक्ति और समर्पण हो, तो कुछ भी संभव है। उनकी यात्रा ने साबित किया है कि सपने देखना और उन्हें पूरा करने की दिशा में मेहनत करना कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। पूजा जैसे लोग हमारे समाज में प्रेरणा का स्रोत हैं और यह बताते हैं कि सच्चे प्रयासों से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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