कवर के लिए दो पुरुष कांस्टेबल बने केंटीन कर्मचारी तो एक महिला पुलिसकर्मी बनी नर्स
इन्दौर । लेडी कांस्टेबल ने फिल्मी स्टाइल में मिलनसार स्वभाव और खुशमिजाज छात्रा बन कई जूनियर छात्रों से दोस्ती करते हुए मेडिकल कॉलेज में रैगिंग करने वाले छात्रों का पता लगा आपरेशन रैगिंग को सफल बनाया। इंदौर एमजीएम मेडिकल काॅलेज में पांच माह पहले हुई रैगिंग केस को पुलिस ने एक लेडी कांस्टेबल को मेडिकल छात्रा की तरह कालेज में दाखिल करा एक क्राइम थ्रिलर फिल्म स्टोरी की तरह सुलझा लिया। मेडिकल छात्रा बनी लेडी कांस्टेबल्स को कवर देने के लिए पुलिस की एक महिला आरक्षक नर्स के रूप में तो दो पुरुष आरक्षक कैंटीन कर्मचारी के रूप में वहीं ड्यूटी पर थे।
फिल्मी स्टाइल में जीन्स-टॉप पहन कांधे पर बैग टांगे 24 साल की अंडरकवर कॉप शालिनी चौहान 3 महीने से ज्यादा रोजाना अलग अलग समय पर कॉलेज के कैंटीन में जुनियर मेडिकल स्टूडेंट बनकर बैठती वहां दूसरे छात्र छात्राओं से दोस्ती कर उनसे बातचीत करतीं और इस तरह आखिरकार इस ब्लाइंड रैगिंग केस में उन्होंने पर्याप्त सबूत जुटाए जिसके आधार पर 11 छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।
इन 11 आरोपी छात्रों में नौ मध्यप्रदेश एक-एक बंगाल और बिहार का हैं. कॉलेज प्रशासन ने सभी को सस्पेंड कर दिया है। संयोगितागंज थाना इन्दौर की आरक्षक शालिनी चौहान ने इसके लिए मेडिकल छात्रा की भूमिका सफलता से निभाई। बता दें कि कांस्टेबल शालिनी के पिता भी पुलिसकर्मी ही थे 2010 में उनका निधन हो गया था। पिता की मौत के बाद शालिनी की मां की भी एक साल बाद मौत हो गई थी। पिता से प्रेरणा लेकर ही शालिनी पुलिस फोर्स में भर्ती हुईं। वैसे तो वे कॉमर्स में ग्रेजुएट हैं लेकिन इस मामले की जांच करने के लिए वो जींस-टाप पहनकर बैग में किताबें रखकर खुद को एमबीबीएस फ्रेशर स्टूडेंट बताती रही।
शालिनी ने अपने इस सफल आपरेशन के बाद अपने स्वर्गीय पिता के साथ साथ वर्दी और विभाग का भी मान बढ़ाया है। शालिनी का कहना है कि इतने दिनों तक वह इस मिशन पर लगी रही पर किसी को अहसास नहीं हुआ कि उनका मेडिकल फील्ड से कोई लेना-देना नहीं है। उनके पास कोई भी सुराग नहीं था फिर भी उन्होंने उन संदिग्धों के अपराध का खुलासा कर दिया। इस पूरे मिशन को टीआई तहजीब काजी और एसआई सत्यजीत चौहान ने लीड किया था।
उन्होंने कुछ छात्रों को चिन्हित किया था जिनके ऊपर शालिनी ने नजर रखी। वे रोज पांच-छह घंटे कैंटीन में थोड़े-थोड़े अंतराल पर समय बिताती। ऐसा इसलिए कि लगे की वह पूरा दिन घूमती नहीं बल्कि क्लास भी अटेंड करती हैं। कैंटीन में वे कई जूनियर्स से बात करती ताकि पता चले कि जो सीनियर फ्रेशर्स की रैगिंग कर रहे थे वे कौन हैं।
मामले के बारे में संयोगितागंज थाना प्रभारी तहजीब काजी के अनुसार एक छात्र ने विश्व विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की वेबसाइट पर काॅलेज में रैगिंग होने की शिकायत की थी लेकिन रैगिंग करने वाले सीनियरों के नाम नहीं बताए थे।
इस शिकायत में रैगिंग की घटनाओं का तो पूरा विवरण था लेकिन आरोपियों और पीड़ित छात्रों दोनों के नाम नहीं थे। वहां शिकायत के साथ सोशल मीडिया पर हुई बातचीत के स्क्रीनशॉट भी थे पर उनके भी मोबाइल नंबर छिपा दिए गए थे। इसके बाद काॅलेज प्रशासन ने 24 जुलाई को थाने में अज्ञात छात्रों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। आरोपी छात्र रैगिंग की आड़ में जूनियरों से अश्लील हरकतें भी करते थे। पुलिस ने रैगिंग के मामले के खुलासे की चुनौती स्वीकार की और आरोपियों को पता लगाने के लिए कई छात्रों से पूछताछ की लेकिन कोई भी नाम बताने के लिए तैयार नहीं था।
इसके बाद इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी शालिनी चौहान को दी। वे एक छात्रा के किरदार में काॅलेज जाती थी और जूनियरों से बातें कर उन्होंने रैगिंग करने वाले 11 छात्रों की जानकारी जुटाई। इसके बाद यह केस सुलझ गया और आरोपी छात्रों के नाम पुलिस को पता चल गए। काजी के अनुसार 24 साल की एक महिला पुलिस आरक्षक को एमबीबीएस छात्रा के भेष में चिकित्सा महाविद्यालय भेजा जिसने जासूस की तरह इस कांड की बिखरी कड़ियां जोड़ीं ।
मेडिकल छात्रा के अलावा एक अन्य महिला आरक्षक को नर्स के भेष में जबकि दो पुरुष पुलिस कर्मियों को कालेज केंटीन का कर्मचारी बनाकर भी भेजा गया ताकि शालिनी को किसी अप्रत्याशित अप्रिय स्थिति में कवर मिल सके । थाना प्रभारी के अनुसार इस गुप्त और विस्तृत जांच के दौरान महाविद्यालय के कनिष्ठ विद्यार्थियों के साथ रैगिंग की पुष्टि हुई और हमने एमबीबीएस पाठ्यक्रम के 11 वरिष्ठ छात्रों की आरोपियों के रूप में पहचान की।
पुलिस को जांच में सुराग मिले कि रैगिंग के दौरान वरिष्ठ छात्रों द्वारा कनिष्ठ विद्यार्थियों को उनके कपड़ों और बर्ताव को लेकर अलग-अलग फरमान सुनाने के अलावा अश्लील कार्य करने को भी कहा जाता था। थाना प्रभारी ने बताया कि रैगिंग के सभी 11 आरोपियों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के तहत नोटिस दिया गया है कि वे पुलिस की जांच में सहयोग करेंगे और आरोप पत्र पेश किए जाने के वक्त अदालत में मौजूद रहेंगे। पुलिस से आरोपियों की सूची मिलने के बाद महाविद्यालय प्रबंधन ने आठ दिसंबर को सभी 11 वरिष्ठ विद्यार्थियों को तीन महीने के लिए संस्थान से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।