शिक्षाधिकारियों द्वारा चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को किया जाता रहा दरकिनार
आरटीआई में अटैचमेंट के आदेश की प्रति मांगने पर सूचना देना नहीं समझा जरूरी
आगरा। सरकारी विभागों में पारदर्शिता रखने हेतु सरकार द्वारा कर्मचारियों को अपने मूल तैनाती स्थल पर ही कार्यरत रखने के निर्देश हैं। मूल तैनाती स्थल से अलग दूसरे स्थान पर अटैचमेंट कर तैनाती देने पर सख्त रोक है।
आपको बता दें कि बीएसए आगरा कार्यालय में शासन के दिशा निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं। विभाग के शिक्षाधिकारियो के साथ अपनी पहुंच का लाभ उठाते हुए लगभग आधा दर्जन बाबू एवं अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, बीएसए आगरा कार्यालय में वर्षों से अटैचमेंट पर तैनात हैं। मुख्यालय से अनेकों बार अटैचमेंट को समाप्त करके कर्मचारियों को उनके मूल तैनाती स्थल पर भेजने के निर्देश जारी हुए, हर बार विभागीय अधिकारियों ने उनको हवा में उड़ा दिया। बताया जाता है कि इस मामले में सूचना का अधिकार अधिनियम(आरटीआई) के तहत बीते जनवरी माह में एससी एसटी बेसिक शिक्षक महासभा के प्रांतीय अध्यक्ष भीष्मपाल सिंह द्वारा जन सूचना अधिकारी/ बीएसए आगरा से सूचना मांगी थी। भीषमपाल सिंह द्वारा अपनी सूचना में कहा था कि बीएसए आगरा कार्यालय में निम्नलिखित व्यक्ति अटैचमेंट पर तैनात हैं। इन सभी के अटैचमेंट आदेश की प्रति उपलब्ध कराई जाए। चहेते बाबुओं के मोहपाश में बंधे बीएसए द्वारा उक्त प्रकरण में सूचना उपलब्ध कराने की जरूरत नहीं समझी गई। भीष्मपाल सिंह ने बताया कि जनवरी माह से अभी तक ना तो सूचना उपलब्ध कराई गई और ना ही संबंधितों के अटेचमेंट को समाप्त करके सभी को मूल तैनाती स्थल पर भेजा गया।
अटैचमेंट पर तैनात बाबुओं के दामन पर लगते रहे दाग
उल्लेखनीय है कि बीएसए आगरा कार्यालय में नियम विरूद्ध चल रहे अटैचमेंट पर सीडीओ आगरा ने बीते गुरुवार को सख्त तेवर दिखाए थे। उन्होंने इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की बात कही थी। जिन बाबुओं के बीएसए आगरा कार्यालय में अटैचमेंट चल रहे हैं, उनमें अधिकांश के खिलाफ गंभीर आरोप और शिकायतें दर्ज हो चुके हैं। इनमें एक बाबू के खिलाफ छात्रवृत्ति घोटाला, दूसरे के खिलाफ अनियमित नियुक्ति और भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज हो चुकी है। बुनियादी शिक्षा विभाग में उक्त प्रकरण विभाग की साख को शर्मसार कर रहे हैं। प्रदेश सरकार लगातार परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प कर रही है, संसाधनों का विस्तार कर रही है, दूसरी तरफ विभाग के अधिकारी ही सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को पलीता लगा रहे हैं।