सागर, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा हाल ही में आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में दिव्यांग कोटे से चयनित हुए सत्यम रजक अब विवादों के घेरे में आ गए हैं। उनका नाम सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक फोटो और वीडियो के कारण चर्चा में है, जिसमें वह बाइक चलाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस तस्वीर के सामने आने के बाद कुछ लोग उनके चयन पर सवाल उठा रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
सत्यम रजक ने MPPSC की परीक्षा में दिव्यांग कोटे से आबकारी सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित होने के लिए दृष्टिबाधितता का सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया था। लेकिन अब उनके खिलाफ गंभीर आरोप लग रहे हैं, खासकर उनकी वायरल तस्वीरों को लेकर, जिसमें वे बाइक चलाते हुए नजर आ रहे हैं। उज्जैन के महिदपुर रोड निवासी प्रिंस यादव ने सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों को साझा किया और आरोप लगाया कि यदि सत्यम रजक दृष्टिबाधित हैं तो उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस कैसे बनवाया और बाइक कैसे चला सकते हैं।
प्रिंस यादव ने सागर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को पत्र भेजते हुए कहा कि अगर सत्यम रजक दृष्टिहीन हैं, तो उनका ड्राइविंग लाइसेंस कैसे जारी हुआ और वे बिना किसी समस्या के वाहन चला सकते हैं। यादव ने अपनी शिकायत में सत्यम की बाइक चलाते हुए कुछ तस्वीरें भी अटैच की हैं।
सत्यम रजक का जवाब
सत्यम रजक ने आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए इन्हें बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि उनका ड्राइविंग लाइसेंस 2017 में बना था, जब उनकी आंखों की स्थिति सामान्य थी। उस वक्त उन्होंने पुलिस कांस्टेबल और जेल पहरी की परीक्षा भी दी थी। लेकिन कोरोना महामारी के बाद 2021 में उनकी आंखों में समस्या बढ़ने लगी, जो 2023 तक विकलांगता की स्थिति में बदल गई। इसलिए उन्होंने दृष्टिहीनता का सर्टिफिकेट बनवाया था।
सत्यम ने वाहन चलाने को लेकर आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वह अब वाहन नहीं चलाते हैं, क्योंकि उनकी आंखों की बीमारी के कारण उन्हें दूसरों की सुरक्षा की चिंता है। उनका कहना है कि वायरल हुई तस्वीरें 2021 से पहले की हैं और जीप चलाते हुए खींची गई फोटो केवल ग्राउंड में खड़ी जीप में बैठकर ली गई थी। सत्यम ने इस आरोप को निजी स्वार्थ से किया गया आरोप बताते हुए इसे झूठा और बिना किसी ठोस आधार के आरोप कहा है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
इस पूरे मामले को लेकर सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। कुछ लोग सत्यम रजक का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसे जांचे बिना हल नहीं किया जा सकता। एक वर्ग का मानना है कि दिव्यांग कोटे के तहत चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना बेहद जरूरी है, जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि यदि सत्यम का दृष्टिहीनता सर्टिफिकेट वैध है, तो इस मामले में कोई दोष नहीं है।
सागर जिला अस्पताल को भेजे गए पत्र में क्या लिखा था?
प्रिंस यादव ने सागर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को पत्र में यह लिखा है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा जारी राज्य सेवा परीक्षा के परिणामों के अनुसार, सत्यम रजक का चयन दिव्यांग कोटे से हुआ है, लेकिन उन्होंने जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं, उनसे यह साबित होता है कि उनकी दृष्टि सामान्य है और वह दो पहिया और चार पहिया वाहन चला सकते हैं।
क्या होगा आगे?
इस विवाद के बाद अब यह देखना होगा कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग और संबंधित सरकारी अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। यदि जांच में यह साबित हो जाता है कि सत्यम रजक ने जानबूझकर गलत सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया, तो उनके चयन को रद्द किया जा सकता है। वहीं, सत्यम रजक का कहना है कि यह सब एक निजी शिकायत और आरोप हैं, और वह अपनी स्थिति को सही साबित करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।