नोटरी पब्लिक अब विवाह और तलाक के अनुबंध पत्र को प्रमाणित नहीं कर सकेंगे

फर्जी विवाह और तलाक को रोकने के लिए नोटरी पब्लिक को प्रमाणन से रोका गया!

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भारत सरकार ने फर्जी विवाह और तलाक को रोकने के लिए नोटरी पब्लिक अधिवक्ताओं को विवाह और तलाक के अनुबंध पत्रों तथा शपथ पत्रों को प्रमाणित करने से प्रतिबंधित कर दिया है। यह आदेश विधि एवं न्याय मंत्रालय के उप सचिव राजीव कुमार द्वारा जारी किया गया है, जिसमें न्यायालय के आदेशों का भी उल्लेख किया गया है।
आगरा: भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय ने फर्जी विवाह और तलाक के मामलों को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, देश भर के नोटरी पब्लिक अधिवक्ता अब विवाह और तलाक के अनुबंध पत्रों तथा शपथ पत्रों को प्रमाणित नहीं कर सकेंगे।

विधि एवं न्याय मंत्रालय का आदेश

भारत सरकार के विधि एवं न्याय विभाग के उप सचिव राजीव कुमार ने सभी नोटरी पब्लिक को यह निर्देश दिया है कि वे विवाह या तलाक से संबंधित किसी भी दस्तावेज़ की तस्दीक करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि नोटरी पब्लिक विवाह अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किए जाते और इस प्रकार के कार्यों के लिए उनकी कोई वैधता नहीं है।

न्यायालय के आदेश का हवाला

राजीव कुमार ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के 14 सितंबर 2023 के आदेश और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 31 दिसंबर 2020 एवं 30 अप्रैल 2021 के आदेश का संदर्भ दिया। इन न्यायालयों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नोटरी पब्लिक विवाह और तलाक संबंधी अभिलेखों को प्रमाणित नहीं कर सकते।

नोटरी अधिनियम का संदर्भ

आदेश में बताया गया है कि नोटरी अधिनियम 1952 की धारा 8 और नॉटी अधिनियम 1956 की धारा 11 के अनुसार, नोटरी पब्लिक विवाह और तलाक के अनुबंध पत्रों को निष्पादित नहीं कर सकते। इसके तहत प्रमाण पत्र जारी करना भी उनके कर्तव्यों में शामिल नहीं है।

कार्रवाई की चेतावनी

श्री राजीव कुमार ने कहा कि यदि कोई नोटरी पब्लिक अधिवक्ता इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके व्यवसाय प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस रद्द करना भी शामिल है।

 

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