उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को 1988 बैच की आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी को राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव नियुक्त किया। रतूड़ी ने बुधवार दोपहर बाद पदभार ग600
रतूड़ी ने सुखबीर सिंह संधू का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया। रतूड़ी के पति अनिल रतूड़ी भी एक आईपीएस अधिकारी हैं और वे उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं।
रतूड़ी ने अपने लंबे प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। उन्होंने अविभाजित उत्तर प्रदेश और नवंबर 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड दोनों में एक नौकरशाह के रूप में काम किया है।
रतूड़ी ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी। उन्होंने 1980 के दशक की शुरुआत में अपनी कॉलेज पत्रिका के संपादकीय बोर्ड में काम किया और दो साल तक इसकी संपादक रहीं। उन्होंने बॉम्बे (अब मुंबई) से इतिहास में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जनसंचार में एक कोर्स किया और कुछ समय के लिए द इंडियन एक्सप्रेस के बॉम्बे संस्करण और फिर इंडिया टुडे के लिए एक पत्रकार के रूप में काम किया।
रतूड़ी ने 1986 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और 1988 में आईएएस में शामिल हुईं। उनके पहले पदस्थापनों में से एक मेरठ में जिलाधिकारी के रूप में था। उन्होंने उत्तराखंड में कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी काम किया है, जिनमें मुख्य निर्वाचन अधिकारी, सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय प्रशासन शामिल हैं।
रतूड़ी की नियुक्ति को महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। वह उत्तराखंड में शीर्ष प्रशासनिक पद संभालने वाली पहली महिला हैं।
रतूड़ी ने अपने पदभार ग्रहण करने के बाद कहा कि वे उत्तराखंड के विकास के लिए कड़ी मेहनत करेंगी। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार और महिला सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करना होगी।
रतूड़ी की नियुक्ति को उत्तराखंड के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। यह राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए एक मजबूत संदेश भेजता है।
राधा रतूड़ी के निजी जीवन की जानकारी
- वह मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हैं।
- उनकी शादी 1987 में आईपीएस अधिकारी अनिल रतूड़ी से हुई थी।
- उनके दो बेटे हैं।
- उन्हें खेलों और पढ़ने का शौक है।
रतूड़ी की नियुक्ति उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। वह राज्य में शीर्ष प्रशासनिक पद संभालने वाली पहली महिला हैं। उनकी नियुक्ति महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह राज्य के विकास में उनके योगदान की उम्मीद की जाती है।