आगरा के जगनेर थाने की सरैंधी पुलिस चौकी से एक ट्रक चोरी होने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में पहले तो पुलिस ने चुप्पी साधे रखी, फिर खेरागढ़ सर्किल के एसीपी ने ट्रक चोरी की खबर को ही भ्रामक बता दिया था। लेकिन अब डीसीपी द्वारा दो कांस्टेबलों के निलंबन के बाद एसीपी खुद ही सवालों के घेरे में आ गए हैं और हंसी के पात्र बन गए हैं।
मामला क्या है?
खनन अधिकारी सुशील वर्मा ने 7 जनवरी को राजस्थान नंबर के एक ट्रक को अवैध खनन परिवहन करते हुए पकड़ा था। इस ट्रक को सरैंधी पुलिस चौकी पर खड़ा कराया गया था। उसी रात यह ट्रक चौकी से चोरी हो गया। पुलिस की किरकिरी से बचने के लिए इस घटना को दबाने की कोशिश की गई। जगनेर थाने में तैनात हेड कांस्टेबल सुनील कुमार ने ट्रक चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था, जो थाने की जीडी में भी दर्ज है।
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए ट्रक को बरामद तो कर लिया, लेकिन इस “गुड वर्क” का खुलासा इसलिए नहीं किया गया क्योंकि इससे पुलिस की ही बदनामी होती और पता चल जाता कि ट्रक पुलिस चौकी से ही चोरी हुआ था।
एसीपी के बयान पर सवाल
जब यह मामला मीडिया में सुर्खियों में आया, तो खेरागढ़ के एसीपी ने ट्रक चोरी की खबर को “भ्रामक” बता दिया। इस बयान के बाद कई सवाल उठे:
- अगर ट्रक चोरी नहीं हुआ था, तो जगनेर थाने में हेड कांस्टेबल ने ट्रक चोरी का मुकदमा क्यों दर्ज कराया?
- थाने की जीडी में ट्रक चोरी की एंट्री क्यों है?
एसीपी के इस बयान ने मामले को और उलझा दिया।
दो कांस्टेबल निलंबित
मामले की लीपापोती की बात जब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तक पहुंची, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। डीसीपी सोनम कुमार ने कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में दो कांस्टेबल, आरक्षी पुष्पेंद्र कुमार और आरक्षी रोहित कुमार को निलंबित कर दिया है।
डीसीपी द्वारा दो सिपाहियों के निलंबन के बाद एसीपी के बयान पर सवाल उठना लाज़मी है। अब एसीपी के पास कहने को कुछ नहीं है और वे हंसी के पात्र बन गए हैं। इस घटना ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।