हत्या के 12 दोषियों को आजीवन कारावास: भरतपुर कोर्ट का बड़ा फैसला

Anil chaudhary
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भरतपुर. अपर सेशन न्यायाधीश नंबर तीन रेखा वाधवा ने एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करते हुए हत्या के 12 आरोपियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है. इस फैसले के बाद सभी दोषियों को सेवर जेल भेज दिया गया है. मामले के एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी.

क्या था पूरा मामला?

अधिवक्ता गंगा सिंह धनकर ने बताया कि यह घटना 5 मार्च 2017 की शाम को शुरू हुई थी. परिवादी करन सिंह (पुत्र केशव बघेल, निवासी महंगाया) ने 6 मार्च 2017 को आरबीएम अस्पताल में एक लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट के अनुसार, 5 मार्च 2017 की शाम को लक्ष्मी, अंगूरी और तारा सिंह की पत्नियों के बीच झगड़ा हुआ था, जिसे गांव वालों ने सुलझा दिया था.

हालांकि, अगले ही दिन, 6 मार्च 2017 को, करन सिंह का बेटा विक्रम नहाने के लिए बगीची पर गया था. इसी दौरान, सुरेश के मकान पर हरप्रसाद, शिब्बा, दिनेश, जीतू, कपिल, प्रेमचंद, हरगोविंद, अजय, मुरारी, रामचंद्र, महेश, रामवीर और भगवान सिंह सहित 12 आरोपी एकत्र हुए. इन सभी के हाथों में डंडा, सरिया, लाठी, फरसा और दरांती जैसे हथियार थे.

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बेरहमी से की गई थी हत्या

रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी आरोपियों ने विक्रम पर हमला कर दिया और उसे पीटते-घसीटते हुए अंदर ले गए. अपने बेटे की आवाज़ सुनकर जब करन सिंह मौके पर पहुंचे, तो आरोपियों ने उन पर भी हमला कर दिया. करन सिंह की आवाज़ सुनकर उनके भाई जवाहर सिंह ने आकर उन्हें बचाया.

करन सिंह ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उनके सामने ही दिनेश ने विक्रम के पेट में दरांती मारी, प्रेमचंद ने होंठ पर डंडा मारा और शिब्बा ने उसके बाएं हाथ में फरसा मारा. इसके साथ ही लाठियों से भी मारा गया, जिससे विक्रम बेहोश हो गया. करन सिंह और विक्रम दोनों घायल हो गए थे. विक्रम को तुरंत घायल अवस्था में आरबीएम अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद आया फैसला

इस घटना के बाद थाना उद्योग नगर में मामला दर्ज किया गया और गहन जांच के बाद न्यायालय में चार्जशीट पेश की गई. अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 28 गवाह पेश किए गए, जबकि आरोपियों ने अपनी सफाई में 7 गवाह पेश किए.
प्रारंभिक जांच तत्कालीन थाना प्रभारी मुरारीलाल मीना ने की थी. पुलिस ने शुरुआती झगड़े के कारण रास्ते में हरगोविंद और अजय द्वारा विक्रम पर हमला करने के बाद नामजद 13 आरोपियों में से चार आरोपी हरप्रसाद, शिब्बा, कपिल और जितेंद्र कुमार के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी.

हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता गंगा सिंह धनकर ने चार आरोपियों के अलावा शेष नौ आरोपियों को भी आरोपी बनवाने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया, जिसे न्यायाधीश ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद शेष नौ आरोपियों को भी तलब किया गया. आरोपियों की ओर से उच्च न्यायालय में इस संज्ञान के खिलाफ निगरानी याचिका भी पेश की गई थी.

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लंबी कानूनी लड़ाई और सभी सबूतों को देखने के बाद, न्यायाधीश रेखा वाधवा ने सभी 12 आरोपियों को हत्या का दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा से दंडित कर सेवर जेल भेजने का आदेश दिया. यह फैसला न्याय की जीत के रूप में देखा जा रहा है.

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