आगरा। सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा और सेंट ज़ेवियर इंटरनेशनल स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में शमशाबाद रोड स्थित सेंट ज़ेवियर इंटरनेशनल स्कूल में एक विशेष जल पंचायत का आयोजन किया गया। इस पंचायत में स्कूल के बच्चों ने आगरा के जल स्रोतों की पहचान और जल संचय की प्रभावी योजना पर चर्चा की।
जल संकट की गंभीरता
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने बच्चों के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि यदि जल संचय की योजनाएं सही तरीके से लागू की जातीं, तो आगरा की जल समस्या इतनी गंभीर नहीं होती। बच्चों ने समझाया कि हर वर्ष मानसून में आगरा में पर्याप्त जल उपलब्ध होता है, लेकिन उसका सही प्रबंधन नहीं हो पाता।
पंचायत के प्रस्ताव
जल पंचायत में निर्णय लिया गया कि:
1. पानी को स्वच्छ बनाना: सबसे पहले शहर के पानी को साफ किया जाएगा और गंदे पानी का मिश्रण नहीं होने दिया जाएगा।
2. यमुना की सफाई: यमुना नदी को साफ रखना आवश्यक है, और इसे ट्रीट करके ही उसमें जल छोड़ा जाएगा।
3. जल स्रोतों की पहचान: आगरा के जल स्रोतों की पहचान कर जल संचय की प्रभावी योजना बनाई जाएगी।
4. पुराने तालाबों का पुनर्जीवित करना: बच्चों ने महानगर के पुराने तालाबों को फिर से जीवित करने की मांग की।
भूजल दोहन नीति की समस्या
पंचायत में भाग लेने वालों ने उत्तर प्रदेश सरकार की भूजल दोहन नीति की आलोचना की, जिसके कारण नई बोरिंग लगाने की अनुमति में कमी आई है। इस नीति के कारण नागरिकों की समस्याएं बढ़ रही हैं।
जल संरचनाओं का विकास
आगरा के चारों ओर जल संरचनाओं को फिर से विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। बच्चों ने भी भरतपुर और धौलपुर में विकसित जल संरचनाओं की प्रशंसा की और सुझाव दिया कि राजस्थान सरकार से वार्ता कर उटांगन और खारी नदियों का पानी रोकने की प्रक्रिया को समाप्त किया जाए।
संतोषजनक प्रयास
सेंट ज़ेवियर इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों ने राजेन्द्र सिंह को अपने जल संचय प्रयासों के बारे में जानकारी दी और कहा कि उनके स्कूल में प्रभावी जल संचयन व्यवस्था है। इस कार्यक्रम का संचालन अनिल शर्मा ने किया।
समापन
इस जल पंचायत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि हम प्रभावी कदम उठाएं, तो आगरा की जल संकट को हल किया जा सकता है। जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को शासन और प्रशासन के समक्ष उठाएंगे, ताकि बच्चों की आवाज़ सुनी जा सके।