विकसित भारत की शर्मनाक तस्वीर: शायर की बात सच साबित होती है, जीवन एक दरिया है जिसे पार करना होता है

Dharmender Singh Malik
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स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए इस दरिया जैसी स्थिति वाले रास्ते को पार करना पड़ता है।

भरतपुर। बयाना के डांग क्षेत्र के बीहड़ों में स्थित गांव परौआ के हाई स्कूल की स्थिति इसी कथन को बखूबी दर्शाती है। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए एक दरिया जैसी स्थिति वाले रास्ते को पार करना पड़ता है। इससे स्पष्ट है कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त करना आसान नहीं है।

वास्तविकता यह है कि इन ग्रामीण स्कूलों में न तो पर्याप्त स्टाफ होता है और न ही पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। कई गांवों में स्कूल भवनों की स्थिति भी दयनीय है। इन समस्याओं को और बढ़ाते हुए, रास्तों की खस्ता हालत ने शिक्षा की राह को और भी कठिन बना दिया है। परौआ के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के रास्ते में कई बार तो तीन फीट तक पानी भर जाता है, जिससे शिक्षकों और छात्रों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कई बार दुर्घटनाएं भी घट चुकी हैं।

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ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या को लेकर कई बार सरकारी जनसुनवाई में अधिकारियों को अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। इस सरकारी स्कूल में पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक 250 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं और स्कूल आने-जाने का यही एकमात्र रास्ता है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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