कुछ लोग बांटने का काम कर रहे, लेकिन हमें एक रहना है…”, महाकुंभ में बोले CM योगी

कुछ लोग बांटने का काम कर रहे, लेकिन हमें एक रहना है…", महाकुंभ में बोले CM योगी

Deepak Sharma
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योगी आदित्यनाथ (फ़ाइल फ़ोटो)

CM योगी ने महाकुंभ में सनातन धर्म और देश की एकता पर दिया महत्वपूर्ण बयान

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सनातन धर्म और भारत की एकता के महत्व पर जोर दिया। महाकुंभ के एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और धर्म की सबसे बड़ी विशेषता इसकी एकता और सद्भावना है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत पर कोई संकट आएगा तो वह केवल सनातन धर्म के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा, “भारत में एकता जरूरी है। अगर भारत पर संकट आए तो इसका मतलब सनातन धर्म पर संकट आना है। यदि संकट आ गया, तो कोई भी संप्रदाय या धर्म सुरक्षित महसूस नहीं करेगा। इसलिए हमें अपने देश की एकता को बनाए रखना होगा।”

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योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि भारत की सनातन संस्कृति को दुनिया में तलवार के बल पर नहीं फैलाया गया, बल्कि अपने सद्भाव और शांति के संदेश के माध्यम से दुनिया में इसकी पहचान बनाई गई। “भारत का धर्म और संस्कृति केवल एक ही है, वह है सनातन धर्म,” मुख्यमंत्री ने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “दुनिया में कई संप्रदाय हो सकते हैं, लेकिन धर्म एक ही है और वह है सनातन धर्म, यही मानव धर्म है।”

सीएम योगी ने महाकुंभ से एक संदेश देने की बात करते हुए कहा, “हमारे प्रधानमंत्री भी कहते हैं कि कुंभ का संदेश यह है कि एकता से ही देश अखंड रहेगा। यदि भारत सुरक्षित रहेगा, तो हर धर्म और संप्रदाय भी सुरक्षित रहेगा। अगर भारत पर संकट आएगा, तो वह संकट सनातन धर्म पर भी आएगा और यदि सनातन धर्म के ऊपर संकट आएगा तो फिर भारत में कोई भी संप्रदाय अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करेगा।”

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उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग देश में भिन्नताएं और मतभेद फैलाने का काम कर रहे हैं, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि हमें एक रहना है और हमें अपनी संस्कृति और एकता को बनाए रखने की आवश्यकता है।

महाकुंभ की यह सभा न केवल धार्मिक महत्वपूर्णता से भरी हुई थी, बल्कि देश की एकता, समाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति कड़ी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बन गई। योगी आदित्यनाथ के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वह भारत के विकास और उसकी सांस्कृतिक जड़ों को पुनः स्थापित करने में पूरी तरह से समर्पित हैं।

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