रायपुर। जीवन में सफलता पाने के लिए कठोर परिश्रम, समर्पण और निरंतरता जरूरी हैं। शैलेंद्र कुमार बांधे की कहानी एक ऐसी ही प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाती है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, और कठिनाइयों के बावजूद अगर किसी कार्य को ईमानदारी से किया जाए तो सफलता निश्चित मिलती है। शैलेंद्र ने चपरासी के रूप में काम करते हुए भी अपने सपने को साकार किया और राज्य लोकसेवा आयोग (सीजीपीएससी) 2023 पास कर असिस्टेंट कमिश्नर (स्टेट टैक्स) बने।
चपरासी से असिस्टेंट कमिश्नर तक की यात्रा
शैलेंद्र कुमार बांधे का जन्म रायपुर में हुआ था, और वे बिलासपुर जिले के एक किसान परिवार से आते हैं। उनका सपना बचपन से ही एक अधिकारी बनने का था, लेकिन जीवन की कठिनाइयों ने उन्हें चपरासी के रूप में कार्य करने के लिए मजबूर कर दिया। शैलेंद्र ने 2019 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा देना शुरू किया, लेकिन लगातार असफलता का सामना करना पड़ा।
साल 2022 में जब परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ने लगीं, तो शैलेंद्र ने चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन किया। हालांकि, उनका सपना अधिकारी बनने का था, फिर भी उन्होंने चपरासी के रूप में काम करना शुरू किया। यह नौकरी शैलेंद्र के लिए एक चुनौती बन गई, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सात महीने तक चपरासी के रूप में काम करते हुए, शैलेंद्र ने पीएससी की तैयारी जारी रखी और अंततः 2023 में सफलता प्राप्त की।
सफलता के टिप्स
शैलेंद्र कुमार बांधे की सफलता से हमें कुछ महत्वपूर्ण संदेश मिलते हैं। यदि आप भी अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित टिप्स आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं:
- धैर्य और निरंतरता बनाए रखें
शैलेंद्र ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर किसी काम में सफलता नहीं मिल रही हो, तो भी धैर्य बनाए रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने बिना रुके पीएससी की परीक्षा दी और आखिरकार सफलता पाई। - आत्मविश्वास रखें
शैलेंद्र का मानना था कि कभी भी अपने आत्मविश्वास को न खोएं। उन्हें कई बार असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को कमजोर महसूस नहीं होने दिया। - समय का सही उपयोग करें
शैलेंद्र ने अपने अनुभव से यह सीखा कि समय का सही उपयोग सफलता की कुंजी है। चपरासी की नौकरी के दौरान उन्होंने यूट्यूब और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म से अपनी पढ़ाई जारी रखी, जिससे उन्हें अपनी तैयारी में मदद मिली। - परिवार का समर्थन महत्वपूर्ण है
शैलेंद्र ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को भी दिया। परिवार का सहयोग और प्रेरणा किसी भी व्यक्ति के लिए एक मजबूत सहारा हो सकती है। - सपने को कभी छोड़ें नहीं
शैलेंद्र का मानना है कि यदि किसी के पास सपना है तो वह उसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए। उनका सपना डिप्टी कलेक्टर बनने का था और उन्होंने इसे पाने के लिए लगातार मेहनत की। वे भविष्य में इस दिशा में और भी प्रयास करने का संकल्प रखते हैं।
अंतिम शब्द
शैलेंद्र कुमार बांधे की सफलता से यह सिद्ध होता है कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति सच्चे और समर्पित हैं, तो कोई भी कठिनाई आपके रास्ते में नहीं आ सकती। उन्होंने यह साबित कर दिया कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, यदि हौसला मजबूत हो, तो सफलता जरूर मिलती है। इस प्रेरणादायक कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हर व्यक्ति के अंदर सफलता पाने की क्षमता होती है, बस जरूरत है तो उसे पहचानने और मेहनत करने की।